नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 27 से 29 मई 2025 तक मॉस्को में आयोजित होने वाली सुरक्षा मुद्दों पर उच्च प्रतिनिधियों की 13वीं इंटरनेशनल मीटिंग में हिस्सा ले सकते हैं। इस बैठक की अध्यक्षता रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, डोभाल इस दौरान बाकी दो S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी को तेज करने पर जोर देंगे।

S-400 का महत्व
भारत ने 2018 में रूस के साथ 5.4 बिलियन डॉलर (लगभग 35,000 करोड़ रुपये) में पांच S-400 सिस्टम खरीदने का सौदा किया था। अब तक तीन सिस्टम की डिलीवरी हो चुकी है, जिन्हें भारत में ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया गया है। बाकी दो सिस्टम की डिलीवरी 2025 के अंत और 2026 तक होने की उम्मीद है। रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य चुनौतियों के कारण डिलीवरी में देरी हुई है।
ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने देखी S-400 की ताकत
S-400 की ताकत हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सामने आई, जब इसने 300 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोनों और मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान के किसी भी हमले को सफल नहीं होने दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया। भारत के पास मौजूद तीन S-400 सिस्टम पहले ही पाकिस्तान के लिए खतरा बन चुके हैं, और बाकी दो सिस्टम की डिलीवरी से उसकी चिंता और बढ़ेगी।
पाकिस्तान की बढ़ेगी टेंशन
S-400 की तैनाती से भारत की वायु रक्षा प्रणाली और मजबूत होगी। इस सिस्टम की मारक क्षमता और सटीकता ने पाकिस्तान को पहले ही बैकफुट पर ला दिया है। डोभाल की मॉस्को यात्रा और S-400 की जल्द डिलीवरी का दबाव पाकिस्तान के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।