भिलाई। छत्तीसगढ़ के भिलाई निवासी 20 वर्षीय हर्ष खड़िया ने यूरोप में आयोजित वर्ल्ड आर्म रेसलिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर राज्य और देश का नाम रोशन किया है। हर्ष की इस उपलब्धि से न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में उत्साह का माहौल है। हर्ष इससे पहले 2023 में कजाकिस्तान में हुई चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल भी जीत चुके हैं।

क्रिकेट से आर्म रेसलिंग तक का सफर

हर्ष ने अपने खेल करियर की शुरुआत क्रिकेट से की थी। उन्होंने सेंट्रल जोन तक प्रतिनिधित्व किया। लेकिन टीम गेम में उन्हें वह पहचान नहीं मिली जिसकी उन्हें चाह थी। इसके बाद उन्होंने व्यक्तिगत खेल की ओर रुख किया और साल 2019 में आर्म रेसलिंग की शुरुआत की। उसी वर्ष उन्होंने स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडल जीता, जिसके बाद उनका चयन नेशनल चैंपियनशिप के लिए हुआ।

कठिनाइयों को पार कर बनाई पहचान

कोविड महामारी और संसाधनों की कमी के बावजूद हर्ष ने अपने सपनों को टूटने नहीं दिया। वे बताते हैं कि एक समय ऐसा भी आया जब चोटों ने उनका हौसला तोड़ने की कोशिश की, लेकिन परिवार और कोच के समर्थन से वे फिर उठ खड़े हुए। खासतौर पर उनके बड़े पापा राजेश खड़िया ने हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया।

यूरोप में दिलाया देश को सम्मान

मोल्दोवा में हुए वर्ल्ड आर्म रेसलिंग चैंपियनशिप 2024 में हर्ष ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। सेमीफाइनल में हार के बाद उन्होंने कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में विरोधी को मात दी। प्रतियोगिता में उनका मुकाबला कजाकिस्तान और जॉर्जिया जैसे देशों के खिलाड़ियों से हुआ।

8 घंटे की प्रैक्टिस और डबल जिम रूटीन

हर्ष बताते हैं कि उनकी दिनचर्या पूरी तरह से खेल को समर्पित है। वे सुबह और शाम मिलाकर दिन में दो बार जिम करते हैं और कुल 6–8 घंटे वर्कआउट करते हैं। आर्म रेसलिंग को लेकर वे कहते हैं कि यह सिर्फ एक हाथ की लड़ाई नहीं, बल्कि इसमें दिमाग, तकनीक और अनुशासन तीनों की भूमिका होती है।

बिना सरकारी मदद के लड़े मुकाबले

हर्ष ने बताया कि इंटरनेशनल लेवल पर खेलने के लिए उन्हें लगभग ढाई लाख रुपये खर्च करने पड़े। यह सारा खर्च उन्होंने और उनके परिजनों ने समाज और निजी सहयोग से जुटाया। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आर्म रेसलिंग जैसे खेल को अब तक सरकार की ओर से फेडरेशन या वित्तीय मान्यता नहीं मिली है।

आगे की तैयारी और उम्मीदें

हर्ष का अगला लक्ष्य गोल्ड मेडल है। अक्टूबर में होने वाली अगली इंटरनेशनल प्रतियोगिता के लिए वे अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। वे चाहते हैं कि आर्म रेसलिंग को भी अन्य खेलों की तरह सरकारी मान्यता मिले, ताकि खिलाड़ियों को उचित संसाधन, सम्मान और नौकरी की सुविधा मिल सके।

युवाओं के लिए प्रेरणा

हर्ष का कहना है कि “एक बार असफलता मिलने पर हार नहीं माननी चाहिए। मेहनत और धैर्य से हर सपना पूरा किया जा सकता है।” उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे खेल को करियर के रूप में अपनाएं और देश का नाम रोशन करें।

परिवार भी हुए भावुक

हर्ष के घर लौटते ही स्टेशन पर उनका भव्य स्वागत हुआ। उनके माता-पिता और बड़े पापा ने भावुक होकर कहा कि यह पल सिर्फ परिवार नहीं, पूरे समाज के लिए गर्व का है। उनके बड़े पापा ने कहा कि “हमने कोशिश की कि हर्ष को हर वो चीज मिले जो एक खिलाड़ी को मिलनी चाहिए, ताकि वो बिना किसी कमी के खेल में आगे बढ़े।”