रायपुर। छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाले में गिरफ्तार निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू, पूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया, और वरिष्ठ IAS अधिकारी समीर विश्नोई शनिवार सुबह रिहा हो गए है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद शुक्रवार को जमानती प्रक्रिया पूरी कर ली गई।

इस बहुचर्चित घोटाले में आरोपी सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई, रानू साहू सहित अन्य को जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने अंतरिम राहत प्रदान की। कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी आरोपी अगली सूचना तक छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर रहेंगे और जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग देंगे।

ये हैं जमानत की शर्तें

  • अगले आदेश तक छत्तीसगढ़ राज्य में नहीं रहेंगे
  • रिहाई के एक सप्ताह के भीतर राज्य से बाहर रहने का पता संबंधित थाना और जांच एजेंसियों को देना होगा।
  • सभी को पासपोर्ट कोर्ट में जमा करना होगा।
  • गवाहों से संपर्क, साक्ष्य से छेड़छाड़ या किसी भी प्रकार की बाधा पर जमानत रद्द मानी जाएगी।
  • जब भी जांच एजेंसी या ट्रायल कोर्ट बुलाए, उपस्थित रहना अनिवार्य होगा।

सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील

आरोपियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ताओं सिद्धार्थ दवे, मुक्ता गुप्ता, सिद्धार्थ अग्रवाल और शशांक मिश्रा ने की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कई आरोपियों को पहले ही अंतरिम जमानत मिल चुकी थी, लेकिन DMF घोटाले जैसे अन्य मामलों में अटकी जमानत के कारण वे जेल में थे।

अब तक क्या-क्या हुआ?

  • मार्च 2025: सौम्या चौरसिया, रानू साहू को अंतरिम जमानत मिली थी।
  • मई 2025: लक्ष्मीकांत तिवारी, मनीष उपाध्याय, पारेख कुर्रे को भी राहत मिली। 30 मई को, सभी सूचीबद्ध मामलों में एक साथ अंतरिम जमानत मिलने से तीन प्रमुख आरोपी आज शाम 7 बजे जेल से बाहर आ सकते हैं।

क्या कहते हैं विश्लेषक?

राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इन रिहाइयों को बड़ी राहत माना जा रहा है। साथ ही, इस केस की अगली सुनवाई और ट्रायल को लेकर अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश पर टिकी हैं।