टीआरपी डेस्क। चार साल पहले छत्तीसगढ़ के लाखों ग्रामीण परिवारों को यह भरोसा दिलाया गया था कि अब उनके घरों तक नल से शुद्ध पानी पहुंचेगा। जल जीवन मिशन के तहत ये सपने दिखाए गए टंकियों के नक्शे बने, पाइपलाइनें खिंचीं, उद्घाटन के फोटोज़ वायरल हुए, पर हकीकत में आज भी कई गांवों की टंकियां अधूरी हैं और नलों में पानी नहीं, बल्कि खामोशी बह रही है।

अब जब उम्मीदें सूख गईं, तो केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप किया है। 2 जून को एक विशेष केंद्रीय टीम छत्तीसगढ़ के गांवों का दौरा करेगी, ताकि देखा जा सके कि जिन टंकियों के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हुए, वे जमीन पर क्यों नहीं उतरीं।

नल से नहीं आया पानी, फिर भी भर गया ठेकेदारों का खाता

रायपुर, राजनांदगांव, जांजगीर-चांपा, बस्तर और बेमेतरा ये पांच जिलों में कई जगहों पर काम अधूरा है, फिर भी ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया। ग्रामीणों के अनुसार, टंकियां बिना जलस्रोत के बनाई गईं आज वे कंक्रीट की मूर्तियां बनकर खड़ी हैं।

गांव के लोगों ने बताया कि कई बार शिकायतें कीं, लेकिन न अफसर आए, न जवाब मिला। एक बुज़ुर्ग महिला ने कहा, हमें कहा गया था अब रोज़ कुएं पर नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन चार साल बाद भी वही बर्तन लेकर चलना पड़ता है।

राजनीति से परे अब जांच की बारी

अब प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने सख्त रुख अपनाया है। जल जीवन मिशन की असल सच्चाई जानने के लिए पूरे देश में जांच अभियान शुरू किया गया है। छत्तीसगढ़ भी इसमें प्रमुख राज्य है। नोडल अधिकारियों की टीम यहां के प्रभावित जिलों में जाकर योजना की प्रगति और भ्रष्टाचार की परतें खोलेगी।

केंद्रीय टीम के पहुंचने से पहले राज्य सरकार भी हरकत में आ गई है। मुंगेली जिले में 70 ठेकेदारों को नोटिस जारी कर दिया गया है। उनसे पूछा गया है कि तय समय में काम क्यों पूरा नहीं हुआ। सवाल ये भी है कि ये नोटिस पहले क्यों नहीं जारी हुए? क्या जांच के डर से अब कार्रवाई हो रही है?

60,000 करोड़ की योजना, और लाखों प्यासे घर

2022-23 में केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। लक्ष्य था कि 31 मार्च 2024 तक हर ग्रामीण परिवार को नल से स्वच्छ जल मिले। लेकिन आज भी छत्तीसगढ़ के कई गांवों में हालात जस के तस हैं।