रायपुर। आपातकाल की 50 वीं वर्षगांठ को भाजपा देशभर में संविधान हत्या दिवस के रूप में मना रही हैं। इसी के तहत छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने भाजपा जिला कार्यालय एकात्म परिसर में प्रेस वार्ता को सम्बोधित किया। जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल की आड़ में लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को बंधक बनाकर देश को तानाशाही की गिरफ्त में धकेल दिया था। कांग्रेस ने आज तक इस पर न तो माफी मांगी और न ही कोई पछतावा जताया।

भाजपा कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि आपातकाल किसी राष्ट्रीय संकट के कारण नहीं, बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सत्ता बचाने की रणनीति थी। उन्होंने अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग कर ‘आंतरिक अशांति’ के नाम पर पूरे देश को मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया। इस दौरान प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई, न्यायपालिका की स्वतंत्रता छीनी गई और 1 लाख से अधिक लोगों को बिना मुकदमे के जेल में डाला गया। इनमें जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे प्रमुख नेता शामिल थे। दुख की बात है कि कई बंदियों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में शामिल होने की भी इजाजत नहीं दी गई।

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उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने संविधान में 39वें और 42वें संशोधन जैसे प्रावधान कर प्रधानमंत्री और शीर्ष पदों को न्यायिक समीक्षा से बाहर कर दिया, जिससे तानाशाही को वैधानिक रूप दिया गया। ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ जैसे शब्द जोड़कर कांग्रेस ने वैचारिक एजेंडा थोपने का प्रयास किया।

अरुण साव ने कहा कि आज भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ काम कर रही है। सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी प्रचार और पत्रकारों पर कार्रवाई इसकी मिसाल हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी भी उसी आपातकालीन सोच का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो 1975 में इंदिरा गांधी ने दिखाई थी।

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि भाजपा 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मना रही है, ताकि देश की नई पीढ़ी को इस काले अध्याय की सच्चाई बताई जा सके। उन्होंने बताया कि विष्णुदेव साय सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों के लिए सम्मान निधि योजना को फिर से शुरू किया है, जिसे पिछली कांग्रेस सरकार ने बंद कर दिया था।

पत्रकार वार्ता में भाजपा नेता रमेश ठाकुर, अमित चिमनानी, अनुराग अग्रवाल, उमेश घोरमोड़े और निशिकांत पांडेय भी मौजूद थे।