0 कई IAS अफसरों का नाम शामिल है घोटाले में
बिलासपुर। राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान के नाम पर करोड़ों रुपये की सरकारी रकम के दुरुपयोग के मामले में सुनवाई पूरी हो गई। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में याचिकाकर्ता और आरोपित अधिकारियों के वकीलों के साथ-साथ सीबीआई की ओर से भी बहस पूरी कर ली गई है। वहीँ कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
इस तरह किया गया घोटाला
यह पूरा मामला एक ऐसे अस्पताल को लेकर है जो असल में कभी अस्तित्व में था ही नहीं। बताया गया कि राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान नाम की यह संस्था केवल कागजों में बनाई गई थी और इसके नाम पर सालों तक सरकारी धन निकाला गया। यह खेल करीब 10 साल यानी 2004 से 2018 तक चला और राज्य को करीब 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब रायपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर को खुद को उस अस्पताल का कर्मचारी बताकर वेतन मिलने की सूचना मिली। जब उन्होंने आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी, तो सामने आया कि ऐसा कोई अस्पताल है ही नहीं और यह एक एनजीओ के जरिए चलाए जाने का दावा किया गया है।
इन बड़े अफसरों के नाम आये सामने
घोटाले के आरोप में राज्य और केंद्र सेवा के कई वरिष्ठ अधिकारी फंसे हैं। जिन अधिकारियों के नाम सामने आए हैं उनमें आईएएस आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल के अलावा अन्य नाम भी शामिल हैं। आरोप है कि बैंक ऑफ इंडिया और एसबीआई की शाखाओं से फर्जी आधार कार्डों के जरिए खाते खुलवाकर पैसे निकाले गए।
सुनवाई के दौरान तत्कालीन मुख्य सचिव अजय सिंह ने भी शपथ पत्र देकर माना कि 150 से 200 करोड़ रुपये तक की वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं। हाईकोर्ट ने इन तथ्यों को केवल त्रुटि मानने से इनकार करते हुए कहा कि यह संगठित और सुनियोजित घोटाला है।
हाईकोर्ट पहले ही इस मामले की सीबीआई जांच के निर्देश दे चुका था। हालांकि बीच में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक लगाकर मामला फिर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को भेज दिया था। अब बहस पूरी हो चुकी है तथा फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।