0 योजना के तहत इलाज करने वाले निजी अस्पतालों की हालत ख़राब
रायपुर। शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत आने वाली सभी स्वास्थ्य योजनाओं का क्लेम प्रोसेसिंग स्टेट नोडल एजेंसी द्वारा फरवरी माह से बंद करा दिया गया है। ऐसे में अस्पतालों का लगभग 800 करोड़ रुपयों का क्लेम बचा हुआ है और कई छोटे निजी अस्पताल तो बंद होने के कगार पर आ गए हैं।
टेंडर शर्तों पर सहमत नहीं हैं कंपनियां
पता चला है कि बीते वित्तीय वर्ष का 30 मार्च को थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टी पी ए) का अनुबंध भी खत्म हो चुका है और नई टी पी ए कंपनी के अनुबंध की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य स्टेट नोडल एजेंसी द्वारा क्लेम और पेमेंट प्रोसेसिंग कार्य हेतु निविदा आमंत्रित की गई थी परंतु स्टेट नोडल एजेंसी द्वारा लगाई जा रही टेंडर शर्तों से सहमत नहीं होने के चलते किसी भी कंपनी ने इस टेंडर प्रक्रिया में निर्धारित तिथि में भाग नहीं लिया था फिर भी टेंडर प्रक्रिया को ना तो निरस्त किया गया और ना ही शर्तों में सुधार किया गया है। बताया जा रहा है कि उन्हीं शर्तों पर फिर से टेंडर प्रक्रिया किए जाने का दबाव बनाया जा रहा है।
ये है प्रमुख वजह…
पता चला है कि कंपनी को स्टेट नोडल एजेंसी के स्वास्थ्य संचालनालय में ऑफिस बनाकर क्लेम प्रोसेस करने की शर्त रखी गई है, मगर इच्छुक कंपनी के अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि स्टेट नोडल एजेंसी के कार्यालय में क्लेम प्रोसेसिंग का कार्य करने से स्टेट नोडल एजेंसी के अधिकारियों का दखल बढ़ जाएगा और इसकी निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह लग जाएगा।
व्यवस्थागत खामियों के चलते बढ़ी परेशानी
आयुष्मान योजना के तहत पिछले डेढ़ वर्ष क्लेम प्रोसेसिंग का काम ग्रामीण चिकित्सा बॉन्ड में अनुबंधित एमबीबीएस डॉक्टर्स से कराया गया था जबकि स्वयं सरकार के बॉन्ड पोस्टिंग तहत उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देनी थी। इन एमबीबीएस चिकित्सकों को क्लेम प्रोसेसिंग में विशेषज्ञता हासिल नहीं होती है और ना ही वे स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट मरीजों की रोग और इलाज की हिस्ट्री और प्रक्रिया को अच्छे से समझ पाते हैं।
रिजेक्ट क्लेम को पाने चक्कर काट रहे अस्पताल संचालक
कथित रूप से स्टेट नोडल एजेंसी के अधिकारियों के अपरोक्ष निर्देश के अनुसार बड़ी संख्या में पेमेंट रिजेक्ट भी किए गए ताकि सरकार की आयुष्मान योजना में भारी भरकम देनदारी कम से कम ही रहे। बड़ी संख्या में रिजेक्ट किए गए क्लेम को पाने के लिए राज्य भर के अस्पताल संचालक डेढ़ साल बाद भी राज्य नोडल एजेंसी के नया रायपुर दफ्तर में चक्कर काट रहे हैं।
चहेते अस्पतालों को क्लेम देने का रहता है दबाव
यह भी कहा जा रहा है कि क्लेम प्रोसेसिंग करने वाली इंश्योरेंस कंपनियां प्रमुख रूप से राज्य में बड़े और चहेते अस्पतालों के क्लेम पेमेंट प्रोसेसिंग को प्राथमिकता देने के स्टेट नोडल एजेंसी के अनधिकृत दखल से रुष्ट हैं। सुचारू रूप से चल रही योजना में विधिवत जारी किए गए क्लेम प्रोसेस को गाइड लाइन के नियम विरुद्ध रिजेक्ट और पैकेज से तय पेमेंट काट लेने के मामले अप्रत्याशित रूप से बढ़ गए हैं।
बता दें कि थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टी पी ए) का टेंडर 23 जून को खोला जाना था लेकिन केवल दो कंपनियों के भाग लेने के कारण अब 28 जून को टेंडर प्रक्रिया आगे की जाएगी। क्या इस बार टेंडर की प्रक्रिया सफल होगी, और उसमें किस तरह की शर्तें रहेंगी इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।