टीआरपी डेस्क। थाईलैंड में राजनीतिक भूचाल मच गया है। संवैधानिक अदालत ने मंगलवार को प्रधानमंत्री पैटोंगटर्न शिनवात्रा को पद से निलंबित कर दिया। वजह बनी एक लीक हुई फोन कॉल, जिसमें उन्होंने कंबोडिया के एक वरिष्ठ नेता से सीमा विवाद को लेकर बातचीत की थी। इस कॉल के सामने आने के बाद सरकार को तीव्र आलोचनाओं का सामना करना पड़ा और मामला अदालत पहुंचा।

अदालत ने सुनवाई के दौरान फैसला सुनाते हुए कहा कि जब तक इस मामले की जांच पूरी नहीं होती, तब तक शिनवात्रा प्रधानमंत्री के पद पर नहीं रह सकतीं। कोर्ट ने उपप्रधानमंत्री सुरिया जुंगरुंगरुआंगकिट को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने की संभावना जताई है।

न्यायाधीशों ने नैतिकता के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली याचिका पर विचार किया और 7-2 के बहुमत से शिनवात्रा को निलंबित करने का निर्णय लिया।

कोर्ट ने मांगा जवाब, दिए 15 दिन

कोर्ट ने शिनवात्रा को अपने बचाव में साक्ष्य पेश करने के लिए 15 दिन का समय दिया है। 38 वर्षीय शिनवात्रा पर आरोप है कि उन्होंने कंबोडिया के साथ हुए सीमा विवाद के बाद अपने स्तर पर वार्ता की कोशिश की, जिससे सरकार की नीति और संप्रभुता पर सवाल उठे। गौरतलब है कि 28 मई को दोनों देशों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया था।

हुन सेन से की थी बातचीत, कॉल लीक होते ही मचा बवाल

15 जून को शिनवात्रा ने कंबोडिया के सीनेट अध्यक्ष हुन सेन से फोन पर बात की थी। इस कॉल के लीक होते ही थाईलैंड में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। आरोप है कि शिनवात्रा ने संवेदनशील कूटनीतिक मुद्दे पर व्यक्तिगत रूप से बातचीत कर संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया।

शिनवात्रा की सफाई; देश की रक्षा के लिए की थी बात

अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए शिनवात्रा ने कहा कि वह न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करेंगी और कानूनी तरीके से अपनी बात रखेंगी। उन्होंने कहा, मेरा उद्देश्य सिर्फ देश में शांति बनाए रखना और सैनिकों की जान की रक्षा करना था। संघर्ष को टालने के लिए बातचीत जरूरी थी। उन्होंने अपने समर्थकों का आभार जताया और कॉल लीक से उपजे विवाद के लिए जनता से क्षमा मांगी।