0 शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के नाम पर कलेक्टर ने लिया बड़ा फैसला…

कोरबा। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के किये गए युक्तियुक्तकरण के बाद पूरे प्रदेश में किसी भी स्कूल में शिक्षकों की कमी नहीं होने का दावा किया जा रहा है, हालांकि कुछ स्कूल ऐसे भी सामने आ रहे हैं, जहां शिक्षकों की कमी अब भी बनी हुई है, मगर प्रदेश का कोरबा ऐसा जिला है जहां दो –चार नहीं बल्कि पूरे 480 शिक्षकों की कमी है। अब इस कमी को पूरा करने के लिए DMF के मद से अतिथि शिक्षकों कि भर्ती की जाएगी।

कोरबा जिले में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधारने के नाम पर कलेक्टर ने अहम फैसला लिया है। यहां युक्तियुक्तकरण के तहत शिक्षकों की पदस्थापना के बाद भी कथित तौर पर शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विद्यालयों के लिए अतिथि शिक्षकों और भृत्य की पोस्टिंग का निर्णय लिया गया है। कलेक्टर ने जिला खनिज न्यास मद (DMF) से जिले में 480 अतिथि शिक्षकों के साथ ही 351 भृत्य की नियुक्ति आदेश पर मुहर लगा दी है। इसके साथ ही विगत शिक्षा सत्र में सेवा दे चुके अतिथि शिक्षकों और भृत्यों को नियुक्ति में प्राथमिकता दिये जाने का प्रावधान भी रखा गया है।

अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना के बाद भी कमी

गौरतलब है कि राज्य शासन के दिशा निर्देश पर हाल ही में कोरबा जिले में अतिशेष शिक्षको की पदस्थापना का आदेश जारी किया गया था। इसके बाद भी रिक्त शिक्षकों के पदो और विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के हिसाब से कम हो रहे शिक्षकों की प्रतिपूर्ति के लिए कलेक्टर अजीत वसंत ने अतिथि शिक्षक रखे जाने का फैसला किया है। उन्होंने जिले के विद्यालयों में शिक्षकों तथा भृत्यों के रिक्त पदो की संख्या के आधार पर जिला खनिज संस्थान न्यास से मानदेय के आधार पर 480 अतिथि शिक्षकों और 351 भृत्यों के भर्ती का निर्णय लिया है। इन अतिथि शिक्षकों में प्राथमिक शाला के 243, मीडिल स्कूल के 109 और हाई तथा हायर सेकेण्डरी स्कूलों में व्याख्याताओं के 128 पदो पर भर्ती की जायेगी।

मानदेय में की गई वृद्धि

बता दें कि इससे पूर्व भी जिले भर में अतिथि शिक्षक और भृत्य रखे गए थे, मगर इस बार भृत्यों और अतिथि शिक्षकों को गत वर्ष दिये जाने वाले मानदेय में वृद्धि कर दी गई है। कलेक्टर अजीत वसंत ने बताया कि जिले में शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने के साथ ही स्कूलों में विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के अनुपात में शिक्षक उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस सत्र में भी डीएमएफ मद से अतिथि शिक्षकों के नियुक्ति का फैसला लिया है।

DMF की पिछली बैठक में लिया गया था फैसला

जिला प्रशासन द्वारा जानकारी दी गई है कि पूर्व में डीएमएफ के शासी परिषद के बैठक में लिये गये निर्णयों के अनुरूप वर्तमान शिक्षण सत्र में भी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति का अनुमोदन किया गया है। कलेक्टर ने युक्ति युक्तकरण प्रक्रिया में अतिशेष शिक्षकों के समायोजन के बाद जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से उन सभी विद्यालयों की जानकारी मंगाई थी। जहां विद्यार्थियों के दर्ज संख्या के अनुपात में शिक्षकों की आवश्यकता है। जिला शिक्षा अधिकारी से जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर द्वारा विद्यालयों में आवश्यक कार्य हेतु मानदेय के आधार पर 351 भृत्यों और 480 अतिथि शिक्षकों के भर्ती की स्वीकृति दी गई है।

जिले में शिक्षकों की भारी कमी : राठिया

कोरबा जिले के रामपुर क्षेत्र के विधायक फूल सिंह राठिया ने इस मुद्दे पर कहा कि शिक्षकों की कमी दूर करने का युक्तियुक्तकरण कोई सार्थक उपाय नहीं है। उन्होंने कहा कि करतला ब्लॉक सहित पूरे जिले के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। युक्तियुक्तकरण से भी यह कमी पूरी नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष DMF की शासी परिषद की बैठक में अतिथि शिक्षक रखे जाने का फैसला किया गया था, मगर इस बार ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सच तो ये है कि इस वर्ष अभी तक DMF की शासी परिषद की कोई बैठक ही नहीं हुई है। राठिया ने कहा कि इस तरह अतिथि शिक्षकों को रखे जाने कि बजाय सरकार को नये शिक्षकों कि भर्ती करनी चाहिए।

शिक्षक और भृत्यों को कितना मिलेगा मानदेय..?

DMF से की जा रही भर्ती में अतिथि शिक्षकों को इस सत्र में गत वर्ष की तुलना में बढ़ा हुआ मानदेय दिया जाएगा। इस सत्र में भृत्य को 8500, प्राइमरी स्कूल के अतिथि शिक्षकों को 11 हजार रूपये, मिडिल स्कूल के अतिथि शिक्षकों को 13 हजार और हाई एवं हायर सेकेण्डरी के अतिथि व्याख्याताओं को 15 हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा।

DEO कोरबा, टीपी उपाध्याय ने TRP NEWS से बातचीत में कहा कि जिले में ऐसे 90 प्राथमिक विद्यालय हैं जो आज भी एकल विद्यालय हैं, इसके अलावा हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों में भी सैकड़ों शिक्षकों की कमी है। इस कमी को पूरा करने के लिए जिले भर में 10 माह के लिए अतिथि शिक्षकों की भर्ती की जाएगी।

बहरहाल जिस जिले में DMF का फण्ड है तो वहां चिंता की क्या बात है, आखिर इस भारी भरकम रकम का कुछ तो ‘सदुपयोग’ होना ही चाहिए।