रायपुर। छत्तीसगढ़ के 2200 करोड़ के शराब घोटाले पर फिर एक बार सरकार की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। मामले में भाजपा कार्यालय मंत्री और वकील नरेश चंद्र गुप्ता ने उठाए सवाल हैं। मामले की जांच को लेकर नरेश चंद्र गुप्ता ने अपनी ही सरकार की जांच एजेंसी ACB के आचरण को संदिग्ध बताते हुए कहा है कि सरकार आरोपी अधिकारियों को क्यों बचा रही है ?
नरेश चंद्र गुप्ता ने X अकाउंट परर ट्वीट करते हुए लिखा है कि “ACB छत्तीसगढ़ का संदिग्ध और मनमाना आचरण एक बार फिर से उजागर किया जाता है, जहां एक्साइज अधिकारियों ने अभियुक्त को गिरफ्तार किए बिना संगठित शराब घोटाले में चार्ज शीट दाखिल करदी है। सूत्रों ने खुलासा किया है कि ACB ने आरोपी को आश्वासन दिया है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत दी जाएगी। इस देश के कानूनी इतिहास में पहली बार जांच एजेंसी न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद की भूमिका निभा रही है। भगवान हमारे छत्तीसगढ़ को सुरक्षित रखना।”
“छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार में जो 2000 करोड़ का शराब घोटाला हुआ है। उसके मूल में भूपेश बघेल, निरंजनदास, एपी त्रिपाठी, टूटेजा, अनवर ढेबर और आबकारी विभाग के कई अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को छोड़ने की तैयारी क्यों हो रही है। इस दोहरे चरित्र पर हम सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे, रिकॉर्डस साथ हैं।” उन्होंने यह एक्स पर पोस्ट करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को भी टैग किया है।
आरोपी अधिकारी नहीं हुए गिरफ्तार ?
शराब घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2024 में साफ तौर पर घोटाले के आरोपियों पर कार्रवाई करने की बात कही थी। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद शराब घोटाले में आरोपी बनाए गए 28 अधिकारियों की गिरफ्तारी आज तक नहीं की है। वहीं दूसरी ओर सरकार उन सभी अधिकारियों पर कर रही है जो शराब घोटाले के आरोपी होने के बाद भी सरकारी पदों पर जमे हुए हैं।
जानकारी के अनुसार, जिन अधिकारियों को नोटिस जारी हुआ उनमें नीतू नोतानी, विकास गोस्वामी, दीनकर वाशनिक, विजय सेन शर्मा, इकबाल खान, सौरभ बक्शी, जनार्दन कौरव, नोहर सिंह ठाकुर, गरीब पाल दर्दी, मोहित जायसवाल, नवीन तोमर, नितिन खंडूजा, अशोक सिंह, रवीश तिवारी, सोनल नेताम, अनिमेष नेताम, अरविंद पटले, प्रमोद कुमार नेताम और रामकृष्ण मिश्रा के नाम शामिल हैं। सेवानिवृत्त अधिकारियों को भी ACB EOW की ओर से नोटिस तामील कराए जा रहे हैं।