अपात्र को बना दिया पात्र, जारी कर दिए वर्क आर्डर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में डायरेक्ट्रेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन के अंतर्गत ऑनलाइन टेंडर क्रमांक 56698 और 56700 में भारी अनियमितता व लापरवाही का मामला सामने आया है। विभाग की ओर से जारी टेंडर में कई बड़ी खामियां उजागर हुई है।


दरअसल डायरेक्ट्रेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ने बीते वर्ष 31 अक्टूबर 2019 को एक ऑनलाइन टेंडर निकाला, जिसके अंतर्गत 4 प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों को करीब 40 करोड़ प्रतिवर्ष अनुमानित राशि के हिसाब से 2 साल के लिए राज्य के विभिन्न मेडिकल, नर्सिंग, डेंटल और फिजियोथैरेपी कालेजों में सुरक्षा का काम सौंपा जाना था।


हाल ही में बड़ी लम्बी अवधि के बाद विभाग ने पिछले माह 19 मई 2020 को वर्क आर्डर जारी कर 4 बड़ी प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों को काम सौंप दिया। अब इस पूरे मामले में गौर करने वाली बात ये है कि जब इन 4 प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी को लम्बी अवधि के बाद विभाग द्वारा वर्क आर्डर सौंपा गया तब भी इन 4 एजेंसियों में से 3 प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी का पसरा लाइसेंस उक्त अवधि में जीवित अर्थात मान्य नहीं है।

जानें क्या है गाइडलाइन

नियमतः छत्तीसगढ़ राज्य निजी सुरक्षा अभिकरण (विनियमन) नियम 2008 के तहत टेंडर अवधि में प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी का पसरा लाइसेंस जीवित होना चाहिए। वहीँ इस ऑनलाइन टेंडर में डायरेक्ट्रेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन की गाइडलाइन में भी कंडीशन नंबर-5 में साफ उल्लेखित है कि टेंडर के दौरान प्राइवेट सुरक्षा एजेंसीज का पसरा लाइसेंस जीवित होना चाहिए और यदि लाइव टेंडर के दौरान पसरा डिएक्टिव हो जाए तो कंपनी को 2 महीने के भीतर एक्टिव पसरा जमा करना पड़ता है। लेकिन इस काम के लिए पात्र मानी गई 4 प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी में से 1 “बुंदेला सिकुरितास कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड” को छोड़कर अन्य 3 प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी कॉल मी सर्विसेस, मेटास सिकुरिटी एंड फायर सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड और सी डी ओ भिलाई का पसरा लाइसेंस वर्तमान में भी जीवित अर्थात मान्य नहीं है।

इन सबके बीच चौंकाने वाली एक बात ये भी है कि मेडिकल एजुकेशन के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों में काम करने वाली पात्र प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी में से 1 “मेटास सिकुरिटी एंड फायर सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड” का तो टेंडर अवधि में ही पसरा लाइसेंस जीवित नहीं है। तो इस लिहाज से आखिर कैसे इस कंपनी को टेंडर में पात्र बताकर काम सौंप दिया गया? ऐसे ही कई खामियां इस ऑनलाइन टेंडर की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती है। क्या विभाग द्वारा आंख मूंदकर बिना जांच के रसूखदारों को काम सौंप दिया जाता है?

आइए जानते हैं क्या है पसरा लाइसेंस?

प्राइवेट सुरक्षा अभिकरण (विनियमन) अधिनियम ,2005 अर्थात पसरा एक्ट के तहत राज्य में केवल ऐसी प्राइवेट सुरक्षा एजेंसिया ही विभिन्न संस्थानों में निजी सुरक्षा गार्ड उपलब्ध करा सकती है, जिन्होंने नियंत्रक प्राधिकारी से लाइसेंस प्राप्त कर रखा हो. वहीँ ऐसी समस्त प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी, जो राज्य में बगैर लाइसेंस प्राप्त किए गैर कानूनी रूप से कार्यरत है तथा ऐसी एजेंसियों से सेवा प्राप्तकर्ता संस्थान अपने विरूद्ध आवश्यक कानूनी कार्यवाही तथा भारतीय दंड संहिता के तहत फौजदारी प्रकरण को आमंत्रित करेगी।

अधिकारियों की मिलीभगत व सरंक्षण में फल-फूल रहा व्यापार

मेडिकल एजुकेशन के ऑनलाइन टेंडर में प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों को उच्च अधिकारियों का सरंक्षण भी मिल रहा है। कंपनी और अधिकारियों की मिलीभगत ने सारी गाइडलाइन को दरकिनार कर दिया है। अधिकारियों के सरंक्षण में बिना दस्तावेज जांचे ऐसी अवैध एजेंसियों को आंख मूंदकर काम दे दिया गया। अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या शासन ऐसे अधिकारियों पर भी कानूनी कार्यवाही करेगा?

देखें प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों का स्टेटस, कौन है पात्र-अपात्र

डायरेक्ट्रेट मेडिकल एजुकेशन के अंतर्गत ऑनलाइन टेंडर में 4 प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी को पात्र बताकर काम सौंप दिया गया। नियमतः इस काम के लिए सुरक्षा एजेंसी का पसारा लाइसेंस जीवित होना चाहिए। लेकिन विभाग के अंतर्गत पात्र बताए गए 3 प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी का वर्तमान में पसारा लाइसेंस जीवित नहीं है। द रूरल प्रेस के पास मौजूद डॉक्यूमेंट के आधार पर प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी के पसारा लाइसेंस का स्टेटस समझते हैं।

1.बुंदेला सिकुरितास कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड – 30.06.18 से 29.06.23

2.कॉल मी सर्विसेस 02.02.15 से 01.02.20

3.मेटास सिकुरिटी एंड फायर सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड – 17.10.14 से 16.10.19

4.सी डी ओ भिलाई – 02.02.15 से 01.02.20

एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रेणु पिल्ले से नहीं मिल सका जवाब

द रूरल प्रेस की टीम ने आईएएस (IAS) रेणु पिल्ले एडिशनल चीफ सेक्रेटरी स्वास्थ्य शिक्षा को फोन लगाकर व मैसेज के माध्यम से उनका पक्ष जानना चाहा, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिल पाया है।

मामले में अनियमितता की जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने पर विभिन्न प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों पर एफआईआर सहित अन्य कार्यवाही की जाएगी।

डॉ. एसएल आदिले
संचालक, चिकित्सा शिक्षा।