टीआरपी डेस्क। पिछले तीन सालों से पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जुड़ी जटिलताओं और उसके तमाम पहलुओं को समझने की कोशिश कर रही है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इस्राइल और यूरोप के 100 से ज्यादा हेल्थ जरनलों में पिछले दो साल में ऐसी 92 मेडिकल स्टडीज प्रकाशित हो चुकी हैं, जो मानव शरीर पर कोरोना वायरस के संक्रमण को समझने की कोशिश है।

क्या कोरोना वायरस का हमारे ब्लड ग्रुप से भी कोई संबंध है, इस पर अब तक कुल तीन मेडिकल स्टडी हो चुकी हैं। इस संबंध में सबसे पहली मेडिकल स्टडी पिछले साल अक्तूबर में अमेरिकन सोसायटी ऑफ हेमेटोलॉजी की मैगजीन “ब्लड एडवांसेज” में प्रकाशित हुई। तमाम क्लिनिकल ट्रायल्स और ऑब्जर्वेशन के अनुसार एबी ब्लड ग्रुप के लोगों की कोरोना वायरस की चपेट में आने की सबसे ज्यादा संभावना है। साथ ही ओ ब्लड ग्रुप के लोगों पर कोरोना वायरस का प्रभाव सबसे कम देखा गया है।
वहीं अमेरिका की लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (NCBI) में भी प्रकाशित एक मेडिकल स्टडी में भी ये दावा किया गया कि ओ और एबी ब्लड ग्रुप के लोगों को कोविड से सबसे कम खतरा है। साथ ही कोविड होने की स्थिति में उनके शरीर में एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया भी सबसे तेज पाई गई।
इसी के साथ ही स्वीडन में हुई एक साइंटिफिक स्टडी में भी डॉक्टरों ने पाया कि ओ ब्लड ग्रुप, जो कि यूनिवर्सल ब्लड डोनर ग्रुप भी है, वाले लोग सबसे कम कोरोना की चपेट में आए। जिन लोगों को कोविड हुआ भी, उसके लक्षण उनमें ज्यादा गंभीर नहीं पाए गए। इसी सिलसिले में हाल में नॉर्वे में हुई एक स्टडी भी यही कह रही है कि ए ब्लड ग्रुप के लोगों को कोविड का खतरा सबसे ज्यादा है। ओ ब्लड ग्रुप वाले इससे सबसे कम प्रभावित होने वाला समूह हैं। साथ ही ज्यादातर एसिंपटोमैटिक लोग, यानि कोविड पॉजिटिव होने पर भी जिनके शरीर में उसके लक्षण प्रकट नहीं होते, वे भी अधिकांश ओ पॉजिटिव ग्रुप के लोग हैं।
मलेरिया और हमारा ब्लड ग्रुप
बता दें कि इसके पहले कई वर्षों के लंबे अध्ययन और 33 लाख से ज्यादा लोगों पर किए गए क्लिनिकल ट्रायल के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि ओ ब्लड ग्रुप मलेरिया से भी बाकी रक्त समूहों के मुकाबले ज्यादा इम्यून है। ओ ब्लड ग्रुप के लोगों पर मलेरिया का प्रभाव सबसे कम देखा गया।
Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्राम, कू और वॉट्सएप, पर…