रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन का लोक निर्माण विभाग PWD बीते 6 साल पुराने SOR के दर पर ही निर्माण कार्य करवा रहा है, जबकि सामग्रियों की कीमतों में अब तक 40 से 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। इससे प्रदेश भर के ठेकेदार परेशान हैं और आशंका है कि दर में बढ़ोत्तरी नहीं हुई तो सरकारी निर्माण कार्य ठप्प पड़ सकते हैं।

प्रदेश भर में PWD के अधीन करोड़ों के निर्माण कार्य चल रहे हैं, वहीं नए टेंडर भी जारी हो रहे हैं, मगर निर्माण में लगने वाली सामग्रियों की कीमत अब भी पुराने दर पर ही निर्धारित की गई है। विभाग द्वारा इसके लिए जो दरें SOR बीते 2015 में तय की गई हैं, वही अब भी लागू है, जबकि इस बीच कीमतों में काफी इजाफा हुआ है। कोरोना काल का भी इन कीमतों पर असर पड़ा है, बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं।
पुराने दर पर DPR का क्या औचित्य
छत्तीसगढ़ कॉन्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीरेश शुक्ल का कहना है कि PWD में वर्तमान में किसी भी निर्माण कार्य का DPR 2015 के SOR के आधार पर तैयार किया जा रहा है, जबकि निर्माण सामग्रियों की कीमतों में 40 से 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। विशेष कर लोहा, जिसकी 2015 के SOR में तय कीमत 56 रूपये प्रति किलो है जबकि वर्तमान में बाजार में इसकी कीमत 85 रूपये प्रति किलो है। वहीं रेत की रॉयल्टी भी बढ़ा दी गई है। ऐसे में निर्माण कार्य उन्हें महंगा पड़ रहा है।
विभागों में एकरूपता का अभाव
कॉन्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि निर्माण कार्य को लेकर PWD में SOR अलग है, और PHE, RES, सिंचाई जैसे विभागों में कुछ अलग ही दर निर्धारित है। ऐसे में निर्माण कार्य में लगे ठेकेदारों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ कॉन्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन की मांग है कि PWD के SOR में जल्द संशोधन किया जाये, अन्यथा प्रदेश भर में चल रहे शासकीय निर्माण कार्य बहुत जल्द ठप्प पड़ सकते हैं।। इसके अलावा बिल भुगतान के लिए भी कार्यालयों के चक्कर काटने और भुगतान में होने वाले महीनों विलंब से निजात दिलाने की मांग ठेकेदारों ने की है।
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