नेशनल डेस्क। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल के बीरभूम मे हुए हिंसा से राजनीतिक गलियारों में हंगामा मचा हुआ है। बीरभूम हिंसा के जांच की जिम्मेदारी अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation, CBI) को दी गई है। बता दें कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की उस मांग को ख़ारिज कर दिया, जिसमें राज्य सरकार ने बंगाल पुलिस से ही इस मामले की जांच कराने को कहा था।
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मिली जानकारी के अनुसार, कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल के एडवोकेट जनरल (AG) से कहा कि, हमें अपने आदेश को रोकने के पीछे कोई वजह नजर नहीं आती। इसलिए आपकी मांग ठुकराई जाती है। इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई (CBI) को जांच के आदेश देते हुए कहा कि वह मामले की जांच रिपोर्ट सात अप्रैल तक कोर्ट को सौंपे।
क्या है पूरा मामला?
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दरअसल, पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक पंचायत अधिकारी की हत्या के कथित तौर पर विरोध करने के लिए मंगलवार सुबह बोगतुई गांव में 12 झोपड़ियों में आग लगा दी गई थी। इस हिंसा में दो बच्चों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इसी मामले में जनहित याचिका दायर कर सीबीआई या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) से जांच की मांग की गई थी। इसके अलावा अदालत ने भी इस मामले का संज्ञान लिया था। गुरुवार को कोर्ट ने इस केस में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
CBI और NIA की जांच का विरोध कर रही थी राज्य सरकार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने सीबीआई या एनआईए जांच का विरोध करते हुए कहा कि “पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (SIT) जांच कर रहा है। उसे समय दिया जाना चाहिए।” दो दिन तक सभी पक्षों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि वह दलीलों पर विचार के बाद आदेश पारित करेगी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाईजे दस्तूर ने कहा कि सीबीआई या एनआईए जांच शुरू करने के लिए तैयार हैं यदि उच्च न्यायालय इस आशय का आदेश पारित करता है।
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