रायपुर : 3 दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त हुए ऑगस्ता 109 वीकेएस हेलीकॉप्टर के मेंटेनेंस में कमी वाली बात को छत्तीसगढ़ के विमानन विभाग ने साफ नकार दिया है। दुर्घटना की जांच के लिए डीजीसीए के जांच दल को दिए गए बयान में दुर्घटना की मुख्य तीन वजह बताई गई हैं। इनमें मैन्युफैक्चरिंग फेलर, डिजाइन फेलर और मटेरियल फेलर प्रमुख रूप से बताया गया है।

जांच टीम के द्वारा 2007 में खरीदे गए इस हेलीकॉप्टर के इन 15 वर्षों के दौरान हुए रखरखाव संबंधित सभी दस्तावेजों, हेलीकॉप्टर के ब्लैक बॉक्स, और दुर्घटना के बाद की तस्वीरों को सुरक्षित रख लिया गया है। वहीं हेलीकॉप्टर के मलबे को एयरपोर्ट में पजेशन मेरा पा लिया गया है। इस इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की जांच में जो टीम आई है, उसमें किरण घोड़े, रोहित कुमार, दिनेश कुमार, रामचंद्रन और अमित जैन शामिल हैं। इस टीम ने राज्य के सभी संबंधित अधिकारी कर्मचारियों से बयान लेकर उसे रिकॉर्ड कर लिया है, और यह भी कहा है कि किसी भी समय जरूरत पड़ने पर उन्हें पूछताछ के लिए राष्ट्रीय राजधानी बुलाया जा सकता है।

ऑगस्ता 109 वीकेएस की तीसरी क्रैश लैंडिंग

विमानन विभाग से संबंधित अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस तरह के हेलीकॉप्टर की क्रैश लैंडिंग की यह तीसरी घटना है। इनमें से दो घटनाएं भारत में ही हो चुकी हैं। रायपुर से पहले 9 मई 2012 को ऑगस्ता 109 वीकेएस हेलीकॉप्टर रांची में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। यह हेलीकॉप्टर आर्यन एविएशन नामक कंपनी का चार्टर्ड हेलीकॉप्टर था। जो उस दिन झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के साथ छह अफसरों के साथ उड़ान पर था। उसी दौरान हेलीकॉप्टर के टेल रोटेटर में दिक्कत आई। जिसके बाद वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस घटना की जांच के बाद सामने आया था कि पायलट ने लैंडिंग को ठीक से हैंडल नहीं किया। जिसमें अर्जुन मुंडा और अफसरों को काफी चोटें आई थी। उस जांच रिपोर्ट के से प्राप्त जानकारी के अनुसार ही 2015 में इस हेलीकॉप्टर के मेंटेनेंस के मानक भी बदले गए थे। इसमें कहा गया था कि जब टेल रोटेटर में दिक्कट हो तो पहले आसमान के चक्कर लगाकर फ्यूल खत्म किया जाए और उसके बाद लैंडिंग की जाए।

26 करोड़ का था बीमा

क्रैश हुए हेलीकॉप्टर को इंश्योरेंस कंपनी ने पूरी तरह से एयर वर्दी बताया था और उन्होंने हेलीकॉप्टर के लिए एयर वर्दी सर्टिफिकेट भी जारी किया था। जिसके मुताबिक बीमा कंपनी ने इस हेलीकॉप्टर का इंश्योरेंस में 5 यात्री और 2 पायलट समेत 26 करोड़ में किया था। यह राशि हेलीकॉप्टर के खरीदी के बराबर रखी गई थी। बता दें कि पिछले 15 वर्षों में इसके रखरखाव में 16 करोड़ से अधिक खर्च किए जा चुके थे। इसके बाद भी इस हेलीकॉप्टर की तीन-चार बार आपातकालीन स्थिति में लैंडिंग करवाई गई थी। सन 2017 में तो इस हेलीकॉप्टर के दोनों इंजन ही बदलने पड़े थे।

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