० उत्पादन बढ़ा लेकिन ऑडिट रिपोर्ट में दिखाया घाटा
० स्थानीय युवाओं की उपेक्षा का भी लगाया आरोप

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय ने बुधवार को संसद में कोरबा स्थित बालको कंपनी द्वारा की जा रही अनियमितताओ और स्थानीय युवाओ के साथ की जा रही उपेक्षा का मुद्दा संसद में उठाया।

सांसद पाण्डेय ने सदन के शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के कोरबा में स्थित भारत एल्युमिनियम कंपनी, बालको को सन 2000 में भारत सरकार की विनिवेश नीति के तहत स्टरलाइट कंपनी को इसका 51% हिस्सा बेच दिया गया था। उस वक़्त इस कंपनी का सालाना उत्पादन लगभग एक लाख टन था। जो वर्तमान में लगभग 5 लाख टन प्रतिवर्ष हो चुका है। फिर भी कंपनी ऑडिट रिपोर्ट में लगातार नुकसान होना दिखाया जा रहा है, जिससे टैक्स देने से बचा जा सके तथा अन्य सामाजिक दायित्व के कार्य न किये जा सकें। स्टरलाइट द्वारा कंपनी रूल का पालन न करके अपने सभी वित्तीय दस्तावेजों को भी पब्लिक डोमेन में नही रखा जा रहा है।

सांसद ने कंपनी पर स्थानीय प्रशासन को गुमराह करके ज़मीन आबंटन कराने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस कंपनी का जब विस्तार हुआ तो विस्तार में आबंटित ज़मीन का मामला भी आज सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इन्होने स्थानीय प्रशासन को अंधेरे में रख कर ज़मीन का आबंटन कराया। यह एक गंभीर विषय है और इसकी तुरंत जांच की जानी चाहिएI

स्थानीय युवा हैं रोज़गार से वंचित

पाण्डेय ने सदन में कंपनी पर स्थानीय युवाओ की उपेक्षा करने और आउटसोर्सिंग का आरोप लगते हुए कहा कि किसी भी उपक्रम की स्थापना इसीलिए की जाती है कि उस क्षेत्र का विकास हो सके। जहां यह स्थापित किया गया है और वहां के स्थानीय निवासियों को रोज़गार मिल सके। लेकिन कंपनी द्वारा इन दोनों मूल नियमो का उल्लंघन किया जा रहा है। ना कंपनी ने स्थानीय मूलभूत सुविधाओं के लिए कोई कर किया न ही स्थानीय युवाओं को रोजगार प्रदान किया। ITI के छात्रों को प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण देकर उन्हें एक समय बाद हटा दिया जाता है और उनके जगह नए लोगों को लेकर उनके साथ भी वही व्यवहार किया जाता है। उपक्रम के दैनिक कार्यों को निजी ठेकेदारों को ठेके पर दे दिया जाता है जो बाहर के कार्मिकों से कार्य करवाते हैं और स्थानीय युवक बेरोज़गार रह जाते हैं।

अनियमितता की जाँच करें सरकार

सांसद पाण्डेय ने बालको में कंपनी द्वारा विगत कई वर्षों से की जा रही इन अनियमितताओं की जाँच की मांग की। उन्होंने अपने उद्बोधन में सरकार से अनुरोध करते हुए कहा कि जिस कम्पनी का उत्पादन 1 लाख टन से बढ़ कर आज 5 लाख टन पहुंच गया हो उसे हर साल घाटा कैसे हो सकता है और अगर कंपनी को घाटा हो रहा है तो इसकी जाँच होनी चाहिए।