नई दिल्ली। साल 2022 में विभिन्न देशों में रहने वाले एनआरआईज (NRIs) भारत में रहने वाले अपनों को 100 अरब डॉलर भेज सकते हैं। यह आंकड़ा मुकेश अंबानी की कुल दौलत (Mukesh Ambani Net Worth) से ज्यादा है जो मौजूदा समय में 96 अरब डॉलर हैं।

वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट (World Bank Report) के अनुसार भारत को 2022 में एनआरआईज की ओर से रिकॉर्ड 100 अरब डॉलर मिलने की उम्मीद है। जिसे तकनीकी भाषा में रेमिटेंस (Remittance) कहा जाता है।
वर्ल्ड बैंक ने अपनी माइग्रेशन एंड डेवेलपमेंट ब्रीफ रिपोर्ट में कहा है कि भारत का रेमिटेंस पिछले साल 7.5 फीसदी से 12 फीसदी बढ़ जाएगा, जिसकी वजह से 2021 में 89.4 अरब डॉलर की तुलना में 100 अरब डॉलर हो जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 100 बिलियन डॉलर के ऐतिहासिक मील के पत्थर तक पहुंचने और ग्लोबल लेवल पर रेमिटेंस के रूप में टॉप में रहने के बावजूद भारत का रेमिटेंस फ्लो 2022 में अपनी जीडीपी का केवल 3 फीसदी रहने की उम्मीद है।
विश्व बैंक ने भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि इस साल साउथ एशिया में रेमिटेंस फ्लो 3.5 फीसदी बढ़कर 2022 में 163 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। हालांकि, यह 2021 के 6.7 फीसदी के प्रोफिट से कम है। भारत में यह इजाफा 12 फीसदी देखने को मिल सकता है और नेपाल में 4 फीसदी के इजाफे की उम्मीद की जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2022 में वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रेमिटेंस 5 फीसदी बढ़कर 626 अरब डॉलर हो जाएगा।
विश्व बैंक की रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
- अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे धनी देशों में रहने वाले अत्यधिक कुशल भारतीय प्रवासी अधिक पैसा घर भेज रहे हैं।
- 2022 में निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए प्रेषण 5 फीसदी बढ़कर लगभग 626 बिलियन डॉलर हो गया है।
- 2022 में दुनिया भर के प्रवासियों द्वारा घर वापस भेजे जाने वाले पैसे में 5 फीसदी की वृद्धि हुई है।
- रेमिटेंस के लिए अन्य शीर्ष प्राप्तकर्ता देशों में मेक्सिको, चीन, मिस्र और फिलीपींस शामिल हैं।
- घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय झटकों ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों को प्रभावित किया है, जिनके लिए प्रवासियों द्वारा अर्जित रेमिटेंस इस वर्ष कम होने की उम्मीद है।
- भारत और नेपाल को छोड़कर अन्य दक्षिण एशियाई देशों ने 2021 से अपने रेमिटेंस में 10 फीसदी से अधिक की गिरावट देखी।