बता दें कि चुनावी बॉन्ड योजना केंद्र सरकार ने दो जनवरी, 2018 को अधिसूचित की थी। सरकार का दावा है कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता आएगी। सरकार ने राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद दान के विकल्प के रूप में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पेश की थी। योजना के प्रावधानों के अनुसार, भारत का कोई भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई चुनावी बॉन्ड खरीद सकती है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से भी चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। चंदा देने वाले की पहचान गोपनीय रहेगी। यहां तक कि आरटीआई की मदद से भी इसकी जानकारी नहीं हासिल की जा सकती।
नियमों के मुताबिक जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को ही चुनावी बॉन्ड से चंदा हासिल करने का अधिकार होगा। ऐसे दल जिन्हें लोकसभा या राज्य विधान सभा के पिछले चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत वोट मिले हों, वे बॉन्ड की मदद से चंदा हासिल कर सकते हैं। सरकारी अधिसूचना के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारतीय स्टेट बैंक से जारी होंगे और इसे योग्य राजनीतिक दल की तरफ से केवल अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से ही भुनाया जा सकेगा।