0 मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश

रायपुर। सुर्खियों में रही भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार की ‘गोठान योजना’ बंद हो चुकी है, अब इसी तर्ज पर भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ‘गोवंश अभ्यारण्य योजना’ लाने जा रहे हैं। आज इसका खुलासा करते हुए CM साय ने बताया कि अधिकारियों को इस संदर्भ में कार्ययोजना बनाने के आवश्यक निर्देश दे दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि सड़कों पर खुले में घूमने वाले स्वामी विहीन गौवंशों की सुरक्षा एवं दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उनकी सरकार प्रदेश में गौवंश अभ्यारण्य योजना लेकर आ रही है।
पशुधन के लिए उचित रहवासी वातावरण
राज्य में पशुधन विकास विभाग, पंचायत, राजस्व एवं वन विभाग के समन्वय से गौवंश अभ्यारण्य संचालित करने की योजना है। इस योजना के क्रियान्वयन से सड़कों पर भूखे-प्यासे भटकने वाले गौवंश को न केवल नियमित आहार मिल सकेगा वरन् उनकी उचित देखभाल और चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध होगी। गौवंश अभ्यारण्य पशुधन के लिए उचित रहवासी वातावरण से परिपूर्ण होगा।
गौरतलब है कि सड़कों पर घूम रहे स्वामी विहीन पशुधन न केवल यातायात के लिए बाधा बन रहे हैं वरन् आए दिन दुर्घटनाओं का कारण भी बनते हैं। भूख से बेहाल पशुधन द्वारा कूड़ा-कचरा एवं प्लास्टिक खाने से उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गौवंश अभ्यारण्य योजना इसे रोकने की दिशा में सकारात्मक कदम साबित होगी।
‘भ्रष्टाचार मुक्त, सेवा, सुरक्षा और संवर्धन’ ध्येय वाक्य
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि ठोस कार्ययोजना के माध्यम से भ्रष्टाचार मुक्त, सेवा, सुरक्षा और संवर्धन का ध्येय वाक्य ले कर प्रदेश में स्वामी विहीन पशुधन के लिए गौवंश अभ्यारण्य की रूप रेखा बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। प्रस्तावित योजना लागू होने पर न केवल सड़कों पर भूखे-प्यासे भटकने वाले गौवंशों को नियमित आहार, देखभाल और चिकित्सकीय सुविधा मिलेगी वरन् दुर्घटनाओं पर भी लगाम लगेगी।
सरकार बदली योजना का स्वरुप बदला
छत्तीसगढ़ की पूर्व की भूपेश बघेल सरकार की बात करें तो उनकी महत्वाकांक्षी ‘नरवा-गरवा-घुरवा-बारी’ योजना के तहत गांव-गांव में गोठान खुलवाए गए। इसके तहत गांवों में आवारा और पालतू मवेशियों के रख-रखाव का केंद्र बनाया गया। इसे ग्रामीणों की आजीविका से भी जोड़ा गया। गोठान में ग्रामीणों के पालतू मवेशियों को हर रोज एक निश्चित समय तक रखा जाता, ताकि वे खुले में घूमकर फसलों को नुकसान न पहुंचाएं और उनके चलते दुर्घटनाएं न हों। साथ ही आवारा और स्वामी विहीन मवेशियों को भी इस गोठान में रखा जाता था। इसके अलावा सरकार ने गोबर खरीदी योजना भी चलाई और गोबर से खाद बनाकर उसे किसानों को बेचने का कार्य भी शुरू किया। हालांकि बाद में कई गोठानों में लाखों का घोटाला भी उजागर हो गया, जिसे लेकर भाजपा ने तत्कालीन सरकार पर जमकर निशाना साधा।
इधर जैसे ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, गौठानों में ताले लग गए। उम्मीद की जा रही थी कि गोवंश की रक्षा का मुद्दा प्रमुखता से उठाने वाली भाजपा की सरकार भी इनके संरक्षण के लिए कोई योजना लेकर आएगी। अब लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस योजना का खुलासा कर ही दिया। अंतर बस यह है कि फ़िलहाल यह योजना खुले में घूमने वाले स्वामी विहीन गौवंश के लिए तैयार की जा रही है, पालतू मवेशियों के लिए नहीं।
आवारा मवेशियों के लिए हाईकोर्ट ने भी दिया है कड़ा आदेश
प्रदेश में आवारा मवेशियों के चलते सड़कों पर होने वाले हादसों को लेकर दायर जनहित याचिका को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शासन को सख्त आदेश दिया है और कहा है कि सभी जगहों पर खुले में मवेशियों को रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम किये जाएं, ताकि हादसों पर रोक लग सके। इसी आदेश के मद्देनजर प्रदेश भर में कांजी हॉउस को दुरुस्त किया गया, साथ ही मवेशी मालिकों पर भी कार्रवाई की गई, मगर हर बार थोड़े दिनों बाद स्थिति जस की तस हो जाती है, भले ही प्रदेश के मुख्य सचिव ने आवारा पशुओं पर रोक लगाने के लिए हलफनामा लिखकर दे दिया हो मगर हालात बदले नहीं जा सके हैं।
आवारा मवेशियों को रोकने के लिए विष्णुदेव सरकार की प्रस्तावित ‘गोवंश अभ्यारण्य योजना’ मील का पत्थर साबित हो सकती है, बशर्तें इसे अच्छी तरह कार्ययोजना बनाकर लागू किया जाये, अन्यथा ‘गौठान’ की तरह इस योजना का भी बुरा हाल हो जायेगा।