महासमुंद। छत्तीसगढ़ का एक सरपंच पिछले दिनों खबरों और सोशल मीडिया में तब सुर्खियां बना, जब वह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से अपने गांव में पक्के सड़क के निर्माण की मांग को लेकर लोटते हुए उनके निवास पर पहुंचा। तब महासमुंद जिले के ग्राम बम्बूरडीह की वह सड़क भी चर्चा में आयी, जो बारिश में कीचड़ से सराबोर हो जाती है। इस सड़क को पक्का करने के लिए ढाई करोड़ रूपये स्वीकृत होने के बावजूद टेंडर के नाम पर इस काम को लटककर रखा गया है। यह मामला प्रकाश में आने के बावजूद कोई भी अधिकारी इस सड़क की सुध लेने नहीं पहुंचा, जिससे नाराज सरपंच ने यहां की स्कूली छात्राओं के साथ मिलकर सड़क पर धान की रोपाई करके विरोध जताया।


बारिश में गांव पहुंचना हो जाता है मुश्किल
बारिश के शुरु होते ही ग्रामीण इलाकों में कच्ची सड़कों की हालत बदतर हो जाती है, ऐसा ही नजारा महासमुंद जिले के ग्राम बम्बूरडीह में देखने को मिलता है। जहां आजादी के बाद से आज तक पक्की सड़क नही बनी है और इससे ग्रामीणो को काफी दिक्कत हो रही है । गांव में कोई बीमार हो जाये तो एम्बुलेंस का पहुंचना मुश्किल हो जाता है। खराब सड़क के कारण बच्चों को भी स्कूल जाने में काफी परेशानी होती है।

इस सड़क को पक्का करने की मांग पर सुनवाई नहीं होते देख सरपंच शत्रुधन चेलक ने स्कूली बच्चों के साथ कीचड़ युक्त सड़क पर धान की रोपाई कर मुख्यमंत्री, लोक निर्माण मंत्री और जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर खींचने की कोशिश की।
ढाई करोड़ की स्वीकृति के बावजूद नहीं बन रही सड़क
कुछ दिन पहले यही सरपंच दिल्ली में नितिन गडकरी के निवास तक सड़क पर लोटते हुए पहुंचा था और उनसे पक्की सड़क की गुहार लगाई थी। बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री ने बम्बूरडीह से रामाडबरी तक दो किमी की सड़क के लिए 2 करोड़ 57 लाख रूपये की स्वीकृति दी थी, मगर आज तक न टेंडर हुआ और न ही काम चालू हुआ।

सरपंच शत्रुधन चेलक को उम्मीद थी केंद्रीय मंत्री तक यह समस्या उठाये जाने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों को थोड़ी लज्जा होगी और वे कम से कम गांव में आकर सड़क की सुध लेंगे, मगर कोई भी अधिकारी गांव तक नहीं पहुंचा। इसके बाद प्रशासन और राजनेताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए सरपंच ने एक बार फिर अनूठा तरीका अपनाया।
PWD के अधिकारियों को ठहराया जिम्मेदार
इस संबंध में महासमुंद जनपद के CEO बी एस मण्डावी ने कहा कि बम्बूरडीह से रामाडबरी तक पक्के सड़क के निर्माण के लिए रकम स्वीकृत हो चुकी है, मगर PWD में टेंडर फाइनल नहीं होने के चलते सड़क निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है। उन्होंने PWD के अधिकारी से मिलकर जल्द से जल्द सड़क निर्माण का कार्य शुरू करने के लिए आश्वस्त किया।

पूरे प्रदेश में हैं यही हालात
महासमुंद जिले के ग्राम बम्बूरडीह की सड़क तो एक नमूना भर है। प्रदेश भर में ऐसी कई सड़कें हैं, जो स्वीकृति मिलने के बावजूद फाइलों में अटकी पड़ी हैं। जिसकी वजह से लोगों को विशेषकर बारिश के दिनों में आवागमन में काफी दिक्कत होती है। ऐसे प्रस्तावित कार्यों की समीक्षा कर उसे तेजी से कराये जाने की जरुरत है, अन्यथा प्रदेश के कई जिलों में ग्रामीण इसी तरह सड़कों पर धान की रोपाई करते नजर आएंगे।