टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम (पीडीएस) घोटाले मामले में ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी है कि अक्टूबर 2019 में दो आरोपी वरिष्ठ अधिकारी अनिल कुमार टुटेजा और आलोक शुक्ला को जमानत देने वाले हाईकोर्ट के जज इनके संपर्क में थे।

ईडी ने दावा किया है कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा लाइजनर ( LAIZNER ) की भूमिका में थे। हालांकि ईडी के 1 अगस्त के हलफनामे में संबंधित न्यायाधीश का नाम नहीं है, लेकिन व्हाट्सएप चैट डिटेल वाली कॉपी से पता चलता है कि वह न्यायमूर्ति अरविंद कुमार चंदेल थे।

एक रिपोर्ट की मानें तो ईडी ने कहा कि न्यायाधीश से उनके भाई और राज्य के पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह के माध्यम से संपर्क किया गया था। चंदेल को पटना हाईकोर्ट भेज दिया गया था। तत्कालीन महाधिवक्ता के माध्यम से दोनों आरोपी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के न्यायाधीश के संपर्क में थे, जिन्होंने 16 अक्टूबर, 2019 को शुक्ला को अग्रिम जमानत दी थी। टुटेजा (तत्कालीन) एजी सतीश चंद्र वर्मा के माध्यम से न्यायाधीश के संपर्क में थे। ईडी ने अपनी रिपोर्ट में 2019 के 31 जुलाई और 11 अगस्त का व्हाट्सएप चैट भी शेयर किया है।
इसमें यह भी कहा गया है कि व्हाट्सएप संदेशों के आदान-प्रदान से पता चला है कि जज की बेटी और दामाद का बायोडाटा तत्कालीन एजी द्वारा अनुकूल कार्रवाई के लिए टुटेजा को भेजा गया था, जो जज और दोनों मुख्य आरोपियों टुटेजा और शुक्ला के बीच संपर्क बना रहा था।
ईडी ने कहा, टुटेजा और शुक्ला आरोपी शुक्ला की अग्रिम जमानत के मामले के संबंध में न्यायाधीश के भाई (अजय सिंह) के संपर्क में थे, जो न्यायाधीश की पीठ के समक्ष लंबित था। जैसे ही 16 अक्टूबर, 2019 को दोनों आरोपियों को जमानत दी गई, न्यायाधीश के भाई को मुख्य सचिव के पद से हटा दिया गया और 1 नवंबर, 2019 को योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। इसमें कहा गया है, “आरोपी व्यक्ति अनुसूचित अपराध में अन्य मुख्य आरोपियों की भूमिका को कमजोर करने के लिए सह-अभियुक्त शिव शंकर भट्ट के मसौदा बयान को शेयर करने और संशोधित करने में शामिल थे।