टीआरपी डेस्क। देशभर के शैक्षणिक संस्थानों और कोचिंग हॉस्टलों में छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। न्यायालय ने छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक नेशनल टास्क फोर्स (NTF) गठित करने का फैसला किया है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पिछले दो महीनों में कई छात्रों ने आत्महत्या की है, जिसमें यौन शोषण और भेदभाव जैसे गंभीर मुद्दे सामने आए हैं। 19 मार्च को गुजरात लॉ यूनिवर्सिटी में एक छात्र की आत्महत्या का भी जिक्र किया गया।
बेंच में शामिल जस्टिस आर महादेवन ने कहा, “हमें आत्महत्याओं के पैटर्न को समझने की जरूरत है। छात्रों को रैगिंग, भेदभाव और यौन शोषण जैसी समस्याओं के कारण अपनी जान नहीं गंवानी चाहिए।”
कैसे काम करेगा टास्क फोर्स?
कोर्ट के आदेश के अनुसार, पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस एस. रवींद्र भट टास्क फोर्स के अध्यक्ष होंगे। इसके अलावा, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और कानूनी मामलों के सचिव भी इसके सदस्य होंगे।
टास्क फोर्स के कार्य
- छात्रों की आत्महत्या के मुख्य कारणों की पहचान करना।
- मौजूदा नियमों की समीक्षा कर सुरक्षा उपायों का विश्लेषण करना।
- शैक्षणिक संस्थानों के लिए सुरक्षा गाइडलाइंस तैयार करना।
- रैगिंग और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों पर सिफारिशें देना।
विशेष शक्तियां और रिपोर्टिंग
- टास्क फोर्स किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान का औचक निरीक्षण कर सकता है।
- चार महीने में एक अंतरिम रिपोर्ट और आठ महीने में अंतिम रिपोर्ट अदालत को सौंपी जाएगी।
IIT दिल्ली के छात्रों की आत्महत्या के मामले पर फैसला
यह आदेश आईआईटी दिल्ली में आत्महत्या करने वाले दो छात्रों के माता-पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। माता-पिता ने एफआईआर दर्ज कराने और केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2024 में इस याचिका को खारिज कर दिया था।