बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में चिटफंड के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी कर फरार हुए कंपनियों के मालिकों की गिरफ़्तारी अब भी चल रही है। आलम यह है कि एक बार गिरफ्तार कर जेल में डाले गए इन आरोपियों को अलग-अलग इलाकों की पुलिस अपने यहां दर्ज मामलों में गिरफ्तार कर दोबारा जेल में दाखिल कर रही है।

इसी कड़ी में रतनपुर पुलिस ने सात वर्षों से फरार चल रहे चिटफंड घोटाले के दो बड़े आरोपियों को केंद्रीय जेल से गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों पर पूरे भारत में अलग-अलग स्थानों पर धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने इन्हें न्यायालय में पेश किया।
रकम दुगुनी करने के झांसे का आरोप
गिरफ्तार आरोपियों ने PACL नामक कंपनी बनाकर देशभर के लोगों को 5 वर्षों में रकम दोगुनी करने और अधिक ब्याज देने का प्रलोभन दिया था। इसी बहाने निवेशकों से लगभग 70 हजार करोड़ रुपये की ठगी की गई। वर्ष 2018 में खैरखुंडी ग्राम के अनिल मधुकर की शिकायत पर रतनपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था। जांच में पता चला कि 1449 निवेशकों से कुल 4 करोड़ 27 लाख 82 हजार 451 रुपये जमा कराए गए, लेकिन वापस नहीं किए गए।
गिरफ्तार आरोपी गुरमीत सिंह (60 वर्ष) मौर्या एन्क्लेव, नॉर्थ वेस्ट दिल्ली तथा सुब्रतो भट्टाचार्य (64 वर्ष) – निवासी साउथ सिटी, गुरुग्राम, हरियाणा का रहने वाले हैं।
कई डायरेक्टर पहले ही हो चुके हैं गिरफ्तार
इस घोटाले में पहले ही PACL इंडिया लिमिटेड के कई अन्य डायरेक्टरों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें निर्मल सिंह भंगू, त्रिलोचन सिंह (तरलोचन), अनिल चौधरी, सिकंदर सिंह ढिल्लन और जोगिंदर टाइगर शामिल हैं।
सेंट्रल जेल बिलासपुर में बंद थे आरोपी
फरार आरोपियों की तलाश लगातार जारी थी। इस बीच रतनपुर पुलिस को सूचना मिली कि गुरमीत सिंह और सुब्रतो भट्टाचार्य ठगी के ही अन्य मामले में केंद्रीय जेल बिलासपुर में ही बंद हैं। पुलिस ने न्यायालय की अनुमति लेकर उन्हें हिरासत में लिया और पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया।
सुब्रत रॉय ने इसी कंपनी में की थी नौकरी
बताते चलें कि वित्त से जुड़ी कंपनी PACL 50 साल से भी ज्यादा पुरानी है और सहारा कंपनी के मालिक सुब्रत रॉय पूर्व में इसी कंपनी में नौकरी करते थे। बताया जा रहा है कि PACL अपने दौर में सबसे विश्वसनीय नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी रही है और इसने देश भर में अपना ब्रांच शुरू किया था। कंपनी द्वारा अपने निवेशकों को नियमित रूप से मेच्योरिटी भी दी जा रही थी, मगर जब बड़े पैमाने पर फ्रॉड चिटफंड कंपनियां बाजार में आ गईं तब इनके साथ ही PACL कंपनी पर भी कार्रवाई कर दी गई। पता चला है कि PACLने निवेशकों से जमा की गई रकम सरकार के पास जमा कर दी है, सरकार के जरिये यह रकम अब तक ग्राहकों को नहीं मिल सकी है। सरकार का कहना है कि जब तक निवेशकों के KYC पूरे नहीं होंगे तब तक वह भुगतान शुरू नहीं कर सकेगी। इस फेर में PACLके सभी डायरेक्टर गिरफ्तारी के बाद इस जेल से उस जेल की हवा खा रहे हैं। बताया जा रह है कि PACL के नै दिल्ली और अन्य स्थानों पर बड़े-बड़े मल्टीप्लेक्स हैं जो फ़िलहाल सरकार के अधीन हैं।