नई दिल्ली। देश की जेलों में 75% से अधिक विचाराधीन कैदी हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार लोग शामिल हैं। NALSA ने इन कैदियों की दयापूर्ण रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।

आधे से ज्यादा कैदी विचाराधीन
देशभर की जेलों में मौजूदा समय में 5 लाख 6 हजार के आसपास कैदी बंद हैं, जिनमें से 3 लाख 77310 कैदी विचाराधीन है. यानी कि कुल 75 फीसदी के आसपास कैदी विचाराधीन कैदी है। उसमें कई बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार कैदी शामिल हैं। इसको लेकर नालसा ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार कैदियों की रिहाई की मांग की गई है।
दयापूर्ण रिहाई की अपील
याचिका में दयापूर्ण रिहाई की मांग पर जोर दिया गया है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा शुरू किए गए विशेष अभियान के तहत देश भर में बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार दोषियों की रिहाई की मांग की गई है।
बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार कैदी केंद्र में
दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि न्याय प्रणाली गंभीर रूप से बीमार या बुजुर्ग कैदियों के साथ किस तरह पेश आती है, इसमें सुधार की तत्काल आवश्यकता है। इसमें तर्क दिया गया है कि ऐसे व्यक्तियों को लगातार कैद में रखना, जिनमें से कई को पर्याप्त चिकित्सा देखभाल तक पहुंच नही है, संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उनके अधिकारों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांतो का उल्लंघन है।
असक्त कैदियों के लिए अभियान का समर्थन
जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि नालसा के बुजुर्ग कैदियों और असाध्य रूप से बीमार कैदियों के लिए विशेष अभियान का समर्थन किया गया है, जिसे 10 दिसंबर 2024 (मानवाधिकार दिवस) को न्यायमूर्ति बीआर गवई के मार्गदर्शन में शुरू किया गया था, जो नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। इस अभियान का उद्देश्य ऐसे कैदियों की पहचान करना, कानूनी सहायता के माध्यम से उनकी रिहाई की सुविधा प्रदान करना और समाज में उनके पुनः एकीकरण का समर्थन करना है।
इन राज्यों में हालात चिंताजनक
बता दें कि दिल्ली, बिहार और जम्मू कश्मीर की जेलों में सजायाफ्ता की तुलना में विचाराधीन कैदियों की संख्या राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है। नालसा द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर की जेलों में कुल कैदियों में 97.5 फीसदी विचाराधीन कैदी है, जबकि दिल्ली में 88.5 फीसदी विचाराधीन कैदी है और बिहार में 86.5 फीसदी विचाराधीन कैदियों की संख्या है।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2024 में यूटीआरसी की सिफारिश पर देशभर की जेलों से 25,982 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया है जो कि जेलों में बंद कुल कैदियों के 5 फीसदी है। साथ ही यह भी कहा गया है कि 2019 की तुलना में 2024 में 108 फीसदी अधिक कैदियों को समिति की सिफारिश पर रिहा किया गया है।