रायपुर। छत्तीसगढ़ के एक छोटे से ब्लॉक से उजागर हुए भारतमाला सड़क परियोजना मुआवजा घोटाले की जांच अब इससे जुड़े सभी 11 जिलों में शुरू की जा रही है, मगर विधानसभा में जिस तरह राजस्व मंत्री इस घोटाले को लेकर ‘अगंभीर’ नजर आ रहे थे, वैसा ही रवैया प्रदेश के उनके विभाग से जुड़े अफसरों का भी नजर आ रहा है। ‘ई ऑफिस’ के इस दौर में राजस्व सचिव के यहां से मामले की जांच के लिए निकली चिट्ठी डाक विभाग से भी धीमी गति से नीचे के अफसरों तक पहुंची और तहसीलदार स्तर के अफसरों तक इस आदेश को पहुंचने में पूरे 10 दिन लग गए। ऐसे में मामले की जांच कितनी गंभीरता से होगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

राजस्व सचिव ने क्या दिया है आदेश..?
छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग मंत्रालय के सचिव अविनाश चंपावत ने 18 मार्च 2025 को यह आदेश जारी करते हुए उल्लेख किया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग भारतमाला परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित सड़क छत्तीसगढ़ राज्य के निम्न जिलों रायपुर, धमतरी, कांकेर, कोण्डागांव, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा से होकर गुजर रही है। वर्तमान में विभाग में परियोजना हेतु भूमि अर्जन की कार्यवाही में हुए अनिमितता की शिकायतों पर की गई जांच में भूमि अर्जन करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के संबंध में प्रतिवेदन विभाग को प्राप्त हुए है। जांच से मूल रूप से अनियमितता किया जाना परिलक्षित हुआ है।
जांच के ये होंगे बिंदु
इस मामले की जांच निम्न बिंदु तय किये गए हैं :-
- संलग्न प्रपत्र अनुसार जानकारी पत्र प्राप्ति दिनांक के 15 दिवस के भीतर तैयार करने विभागीय वेबसाईट पर प्रदर्शित किए जाने हेतु विभाग को उपलब्ध कराना।।
- प्राप्त जानकारी के संबंध में प्रदर्शितआदेश जारी कर जन सामान्य से 15 दिवस में भूमि अर्जन की प्रक्रिया के संबंध में शिकायत प्राप्त किया जाना है।
- प्राप्त शिकायतों पर 15 दिवस में कार्यवाही किया जाना है।
- अर्जित भूमि के संबंध में निम्नानुसार जांच की जानी है:-
i. मूल खसरे को केवल अधिक मुआवजा प्राप्त करने के प्रयोजनों से छोटा-छोटा भूखण्डों में विभाजित कर मुआवजा प्रकरण तैयार किया जाना।
ii. भू-अर्जन, हेतु आशय पत्र प्राप्ति दिनांक के उपरान्त मूल भूमि के हस्तांतरण, बंटवारा, व्यपवर्तन, नवीन निर्माण, इत्यादि मुआवजा हेतु सम्मिलित किया जाना।
iii. अधिक मुआवजा प्राप्त करने हेतु पूर्व दिनांक से फर्जी नांमातरण, बंटवारा प्रकरण तैयार कर मुआवजा स्वीकृत किया जाना।
iv. मुआवजा पत्रक तैयार करते समय भूमि पर स्थित सम्पतियों का सही विवरण प्रस्तुत नहीं किया जाना।
४. अन्य किसी भी बिन्दु जिन पर जांच आवश्यक समझी जाए।


गड़बड़ी मिली तो कार्यवाही का भेजें प्रस्ताव
राजस्व सचिव ने इस आदेश में संपूर्ण बिन्दुओं पर जांच कर 03 माह में पूरा करने को कहा है, साथ ही अधिकारियों/कर्मचारियों की जिम्मेदारी का निर्धारिण कर, उनके विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का प्रस्ताव विभाग को उपलब्ध कराने एवं भूमि अर्जन की प्रक्रिया में प्रभावी सुधार हेतु उपाय/सुझाव प्रदान करना सुनिश्चित करने को भी कहा है।
आमजन से शिकायत लेकर निराकरण करने का निर्देश
राजस्व सचिव ने इस मामले में 1 जनवरी 2019 के बाद के सभी सरकारी और गैर-सरकारी भूमि अधिग्रहण प्रकरणों की जांच के आदेश दिए हैं। इसके तहत सभी संभागीय आयुक्तों को 15 दिनों के भीतर जानकारी तैयार कर विभागीय वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जन सामान्य से 15 दिवस में भूमि अर्जन की प्रक्रिया के संबंध में शिकायत प्राप्त किया जाना है, और प्राप्त शिकायतों का 15 दिनों में निराकरण भी किया जाना है।
CM के ‘ई ऑफिस’ के निर्देश का ये है हाल
अब जरा बात करें प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय के उस निर्देश की जिसमें उन्होंने सभी विभागों से कहा था कि समस्त फाइलें, आदेश-निर्देश ऑनलाइन किये जाएं और उसी के अनुरूप कार्यवाही भी की जाये। दरअसल ऐसा विभागीय कामकाज में तेजी लाने के उद्देश्य से करने को कहा गया है। केंद्र में तो यह प्रक्रिया अमल में लायी जा चुकी है, मगर डबल इंजन की सरकार के दूसरे हिस्से यानि राज्य सरकार के विभागों का ढीलाढाला रवैया अब भी जारी है। इसका जीता-जागता उदहारण राजस्व सचिव द्वारा जारी किया यह पत्र है। अविनाश चम्पावत के डिजिटल हस्ताक्षर से यह आदेश 18 मार्च को सभी संभागायुक्तों को जारी हुआ। जो संबंधित जिलों के कलेक्टरों से होते हुए जांच के लिए तहसीलदारों को 28 मार्च को जारी हुआ है। हम बात कर रहे हैं रायपुर जिले की, जहां अभनपुर ब्लॉक के SDM ने संबंधित तहसीलदारों को इस संबंध में पत्र 28 मार्च को जारी किया है।

मजे की बात यह है कि कोरबा जिले में भारतमाला प्रोजेक्ट से संबंधित इलाकों के SDM की ओर से आज दिनांक तक इस तरह का कोई भी पत्र जारी ही नहीं किया गया है। उम्मीद है कि दूसरे जिलों का भी यही हाल होगा।
अब सवाल यह उठता है कि अरबों के इस घोटाले की जांच को लेकर अफसर कितने गंभीर हैं। सच तो यह है कि 5 साल पहले शुरू हुई भारतमाला परियोजना से जुड़े राजस्व विभाग के अधिकांश अफसरों का तबादला हो चुका है और इनमें से तो कई का प्रमोशन भी हो गया है। प्रदेश में चाहे राजधानी के रामा बिल्डकॉन से जुड़ा जमीन का घोटाला हो या भारतमाला परियोजना जैसा घोटाला, सभी मामलों में अफसर एक-दूसरे को बचाते हुए साफ नजर आते हैं। रामा बिल्डकॉन वाले मामले की जांच में संभागायुक्त ने किसी भी अफसर को जिम्मेदार नहीं ठहराया, वहीं अभनपुर की भारतमाला परियोजना की जांच रिपोर्ट वाली फाइल महीनों तक दबी रही और जब नेता प्रतिपक्ष ने यह मामला उठाया तो पहले नायब तहसीलदार और पटवारी को निलंबित किया गया। जब मामले ने तूल पकड़ा तो आखिरकार तब के SDM रहे अफसरों पर कार्यवाही की गई।
ऐसा ही कुछ अब भी नजर आ रहा है। राजस्व सचिव को आदेश दिए हुए 20 दिन बीत चुके हैं, मगर जिलों में या तो जांच शुरू नहीं हुई है या फिर उसमें गति नहीं आयी है। देखना है कि इस मामले को लेकर संबंधित जिलों में आम-अवाम से कब तक शिकायतें मंगाई जाती हैं और जांच की प्रक्रिया (औपचारिकता) कब तक पूरी की जाती है।