नई दिल्ली। 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा की एनआईए रिमांड खत्म होने के बाद सोमवार को उसे दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कोर्ट से राणा की रिमांड 12 दिन और बढ़ाने की मांग की है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

गौरतलब है कि तहव्वुर राणा को 10 अप्रैल को प्रत्यर्पण के जरिए अमेरिका से भारत लाया गया था। भारत लाए जाने के बाद उसे स्पेशल एनआईए जज चंद्रजीत सिंह की अदालत में पेश किया गया था, जहां से उसे 18 दिनों की एनआईए कस्टडी में भेज दिया गया। इस दौरान राणा से दिल्ली स्थित एनआईए कार्यालय में गहन पूछताछ की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम पूछताछ कर रही है, लेकिन अधिकारी बता रहे हैं कि राणा पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा है। बता दें कि तहव्वुर राणा को अमेरिका के शिकागो में 2009 में FBI ने गिरफ्तार किया था।

परिवार से बातचीत की याचिका खारिज

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 24 अप्रैल को आरोपी तहव्वुर राणा की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उसने परिवार से बात करने की मांग की थी। तहव्वुर के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि एक विदेशी नागरिक होने की वजह से राणा को अपने परिवार से बात करने का अधिकार है। हालांकि NIA ने इसका विरोध किया था।

तहव्वुर राणा का बैकग्राउंड

बता दें कि तहव्वुर राणा कनाडाई नागरिक है, जो कि मूल रूप से पाकिस्तानी है। पाकिस्तानी सेना में वह डॉक्टर के रूप में काम करता था। इसके बाद साल 1997 में वह पाकिस्तान से कनाडा चला गया, जहां पर उसने इमिग्रेशन सर्विसे देने वाले बिजनेसमैन के रूप में काम शुरू किया। यहां से फिर वह अमेरिका भी पहुंच गया।

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड का दोस्त है आतंकी राणा

2008 में हुए मुंबई आतंकी हमलों का मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर राणा बचपन के दोस्त थे। तहव्वुर राणा ने ही डेविड हेडली को मुंबई में आतंकी हमले को अंजाम देने में सहायता की थी। राणा ने ही डेविड हेडली को मुंबई भेजकर हमले के लिए रेकी करवाई थी। बता दें कि डेविड हेडली लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर काम करता था।

इसके बाद साल 2009 में FBI ने तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया। उसे अमेरिका में लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करने के लिए दोषी ठहराया गया था। जिसके बाद उसे लॉस एंजिल्स के एक डिटेंशन सेंटर में बंद करके रखा गया था। इसके बाद आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाने के लिए कई सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ी गई, जिसके बाद उसके प्रत्यर्पण की मंजूरी मिली।