टीआरपी डेस्क। राष्ट्रीय राजमार्गों पर हो रहे अवैध अतिक्रमण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया है कि राजमार्गों की जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं और तीन महीने के भीतर इस पर रिपोर्ट दाखिल की जाए।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों (भूमि एवं यातायात) अधिनियम, 2002 और राजमार्ग प्रशासन नियम, 2004 के तहत निगरानी और कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करे। अदालत ने अतिक्रमण की पहचान, डेटा संग्रहण और उन्हें हटाने के लिए विशेष निरीक्षण टीमें बनाने का भी निर्देश दिया।

राज्य पुलिस की निगरानी में नियमित गश्त का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य पुलिस या अन्य सुरक्षा बलों की निगरानी में इन टीमों की नियमित पेट्रोलिंग सुनिश्चित की जाए। निगरानी दलों को समय-समय पर कार्रवाई करनी होगी ताकि अतिक्रमण दोबारा न हो।

तीन महीने में मांगी गई अनुपालन रिपोर्ट

कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि तीन महीने के भीतर इन निर्देशों के अनुपालन की रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए। पीठ ने स्पष्ट किया कि ये कदम राजमार्गों पर सुरक्षित और निर्बाध यातायात के लिए जरूरी हैं।

जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया फैसला

यह निर्देश उस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गों पर तेजी से फैलते अवैध निर्माण और कब्जों को हटाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने इसे यात्रियों की सुरक्षा और सड़क संरचना की प्रभावशीलता के लिए खतरा बताया था।