बिलासपुर। महासमुंद जिले की बुजुर्ग दंपत्ति को अपनी ही जमीन को बेचने के लिए 14 साल तक संघर्ष करना पड़ा। आखिरकार हाईकोर्ट से इन्हे न्याय मिल गया है। कोर्ट ने कलेक्टर और राजस्व मंडल द्वारा पारित पुराने आदेशों को निरस्त करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को उनकी भूमि बेचने की अनुमति 60 दिनों के भीतर दी जाये।

पट्टे की जमीन को बेचने की मांग रहे थे अनुमति

महासमुंद जिले के ग्राम बागबहरा निवासी ईश्वरलाल अग्रवाल और उनकी पत्नी शंकुतला अग्रवाल (उम्र लगभग 64 वर्ष) को खसरा नंबर 1492 (अब 760, 773/1, 770, 774/2, 774/3, 773/2. 773/3 की 0.800 हेक्टेयर भूमि का पट्टा दिया गया था। यह भूमि वे पिछले 36 वर्षों से अपने कब्जे में रखकर उसका विधिवत उपयोग कर रहे हैं और आवश्यक भुगतान भी कर रहे हैं। दंपत्ति ने इस जमीन को बेचने के लिए कलेक्टर महासमुंद के समक्ष आवेदन दिया था। कलेक्टर ने बिना कोई स्पष्ट कारण बताए इसे अवैध कब्जा मानते हुए 4 जून 2012 को आवेदन खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने पहले कमिश्नर रायपुर और फिर राजस्व मंडल में अपील की, लेकिन दोनों जगह से उन्हें राहत नहीं मिली।

हाई कोर्ट ने दिया यह आदेश

इसके बाद हाईकोर्ट में एडवोकेट पलाश तिवारी के माध्यम से अपील की गई। जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की सिंगल बेंच ने दंपत्ति के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया है कि कलेक्टर और राजस्व मंडल का निर्णय उचित नहीं है। साथ ही कलेक्टर महासमुंद को आदेशित किया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल आवेदन पर 60 दिनों के भीतर निर्णय लेते हुए बिक्री की अनुमति दें। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता अब वृद्ध हो चुके हैं और यह मामला वर्ष 2011 से लंबित है, अतः प्रशासन को यथासंभव सभी प्रयास करके उन्हें न्याय दिलाना चाहिए, ताकि भविष्य में उन्हें दोबारा अदालतों के चक्कर न काटने पड़ें।