टीआरपी डेस्क। गरियाबंद ब्लॉक में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत महज 65 लाख रुपए की लागत से बनी रक्शा से कमारपारा तक की डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क चंद महीनों में ही उखड़ने लगी है। जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान के तहत बनी इस सड़क की गुणवत्ता पर ग्रामीणों ने सवाल उठाए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि, ठेकेदार बाफना कंस्ट्रक्शन ने सड़क निर्माण में डामर और बजरी का उपयोग कम किया है, जिसके कारण सड़क जल्दी टूटने लगी है। स्थानीय निवासियों ने इस निर्माण को भ्रष्टाचार कहना शुरू कर दिया है, उन्होंने प्रशासन से जवाब और कार्रवाई की मांग की है।

सिस्टम का सुस्त रवैया

पीएमजीएसवाई के स्थानीय अधिकारी किसी भी सवाल का जवाब देने से बचते रहे हैं। कहा जा रहा है कि इंजीनियरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से ही ऐसी गुणवत्ताहीन सड़क का निर्माण हुआ है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले देवभोग ब्लॉक में करीब 16 करोड़ की लागत से बनी एक अन्य सड़क की भी नियमों की अनदेखी के कारण हालत खस्ता है।

ग्रामीण कर रहे मांग

ग्रामीणों का कहना है सड़क निर्माण से संबंधित अधिकारी और ठेकेदारों के खिलाफ केंद्र और राज्य स्तर पर प्रभावशाली जांच कराई जाए। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि इस सड़क की बदहाल स्थिति यह स्पष्ट करती है कि निर्माण में भ्रष्टाचार लिप्त है लेकिन सरकारी जांच में दोषी पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई कर दोषियों द्वारा ही मरम्मत या सामर्थ्यवान पुनर्निर्माण तुरंत शुरू कराया जाना चाहिए।