0 पीड़िता के मृत्युपूर्व बयान को माना विश्वसनीय

बिलासपुर। दहेज के लिए बहू को जिंदा जलाने के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दोषी मां-बेटे की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता का मृत्युपूर्व बयान विश्वसनीय है और दोषियों को सजा देने के लिए यही पर्याप्त है।

क्या है मामला…?

यह मामला जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा क्षेत्र का है। ग्राम धमनी निवासी धनेश्वर यादव की शादी 2015 में राधा बाई से हुई थी। आरोप है कि धनेश्वर और उसकी मां मंगली बाई, राधा को आए दिन दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे। अभियोजन के मुताबिक एक सितंबर 2021 को दोनों ने मिलकर राधा के ऊपर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। इलाज के दौरान 6 सितंबर को राधा की मौत हो गई। इस मामले में राधा का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया गया था, जिसमें उसने पति और सास को जिम्मेदार ठहराया था।

ीा मामले में वार्ड बॉय की सूचना पर पुलिस ने अपराध दर्ज किया था। मौके से आधी जली साड़ी, पैंट, कंबल और माचिस जब्त की गई थी। जांच के बाद दोनों पर 302 और 304B सहित अन्य धाराओं में चार्जशीट दाखिल की गई।

सक्ती की विचारण अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा दी थी, जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने माना कि मृत्युपूर्व बयान भरोसेमंद है और फैसला साक्ष्यों के आधार पर सही है।