इंदौर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) को परीक्षा केंद्रों पर बिजली गुल होने से प्रभावित उम्मीदवारों के लिए NEET-UG की दोबारा परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि बिना किसी गलती के भी उन्हें नुकसान पहुंचाया गया। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को राहत देने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का हवाला दिया, जो सभी नागरिकों के लिए समानता और न्याय के सिद्धांत को स्थापित करता है।
ख़राब मौसम के चलते हुई थी बिजली गुल
दरअसल, मेडिकल ग्रेजुएशन कोर्सेस में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET-UG) 4 मई को आयोजित की गई थी, जब राज्य के कुछ हिस्सों में खराब मौसम के कारण बिजली की आपूर्ति बाधित हुई थी। हाई कोर्ट की इंदौर बेंच के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने पिछले महीने कई NEET-UG उम्मीदवारों की याचिकाओं पर सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मंगलवार को एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील मृदुल भटनागर ने कहा कि अदालत के आदेश से 75 प्रभावित उम्मीदवारों को लाभ होगा, जिन्होंने इंदौर और उज्जैन में परीक्षा केंद्रों पर बिजली कटौती के बीच नीट-यूजी की परीक्षा दी थी।
अदालत ने एनटीए को प्रभावित उम्मीदवारों के लिए यथासंभव शीघ्र परीक्षा आयोजित करने और परिणाम घोषित करने का आदेश दिया, यह स्पष्ट करते हुए कि याचिकाकर्ताओं की रैंक, केवल उनके पुन: परीक्षा में उनके अंकों के आधार पर विचार की जानी चाहिए।
अदालत ने कहा, “यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन व्यक्तियों ने अनंतिम उत्तर कुंजी यानी 3 जून 2025 की घोषणा के बाद याचिका दायर की है, वे इस आदेश का कोई लाभ पाने के हकदार नहीं होंगे।”
दोनों पक्षों ने क्या दी दलील..?
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि 4 मई को खराब मौसम के बीच बिजली की कमी के कारण प्रवेश परीक्षा में उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ था और उन्हें फिर से परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए।
NTA की ओर से दलील देते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अधिकांश परीक्षा केंद्रों में बिजली आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी और बिजली वितरण कंपनी को शिकायत किए जाने के तुरंत बाद बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई थी। मेहता ने यह भी कहा था कि परीक्षा केंद्रों पर मोमबत्तियां, इमरजेंसी लाइट, पावर बैकअप और इनवर्टर की व्यवस्था की गई थी। मगर कोर्ट ने इनकी दलील को मानने से इंकार करते हुए प्रभावित छात्रों की दोबारा परीक्षा लेने के आदेश दिए।