टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में पुलिस विभाग की साख को झकझोर देने वाली एक शर्मनाक घटना सामने आई है। लालबाग थाना में पदस्थ आरक्षक महेंद्र साहू ने शराब के नशे में पहले डायल 112 के ड्राइवर की बेरहमी से पिटाई कर दी और फिर जिला अस्पताल में साथी आरक्षक प्रभात तिवारी पर बेल्ट से हमला किया। जवाब में प्रभात तिवारी ने शराबी आरक्षक को 8 थप्पड़ जड़ दिए। यह पूरी घटना अस्पताल के CCTV कैमरे में कैद हो गई।

मामले की शुरुआत…

सोमवार को लालबाग थाना में पदस्त आरक्षक महेंद्र साहू ड्यूटी पर पहुंचा। शराब के नशे में सिविल ड्रेस में ड्यूटी पर पहुंचते ही उसने अपने साथियों से गाली-गलौज शुरू कर दी। इसी बीच किसी बात को लेकर डायल 112 के ड्राइवर से उसका विवाद हुआ, जिसके बाद शराबी आरक्षक ने डायल 112 के ड्राइवर को बुरी तरह पीटा। जिसके बाद ड्राइवर ने थाने में महेंद्र के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद साथी पुलिसकर्मी ड्राइवर को मेडिकल जांच के लिए जिला अस्पताल लेकर गए।

जिला अस्पताल में मचाया बवाल…

अस्पताल में जांच से पहले एक अन्य आरक्षक प्रभात तिवारी फोन पर बात कर रहे थे। तभी पास खड़े महेंद्र साहू ने अचानक बेल्ट निकालकर प्रभात पर हमला कर दिया।
मौके पर मौजूद एक अन्य पुलिसकर्मी ने तुरंत महेंद्र को पकड़ लिया। जिसके बाद प्रभात तिवारी ने पहले महेंद्र को दो घूंसे मारे, फिर गुस्से में 8 थप्पड़ जड़ दिए। CCTV फुटेज में प्रभात तिवारी यह कहते हुए भी दिखाई दे रहे हैं कि “कुछ नहीं कर पाएगा, कुछ नहीं कर पाएगा।”

क्या होगी कार्रवाई..

महेंद्र साहू पर अब विभागीय कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। महेंद्र पर नशे में ड्यूटी करना, सहकर्मियों के साथ मारपीट करना और अनुशासनहीनता गंभीर आरोप हैं। वहीं प्रभात तिवारी की कार्रवाई को सेल्फ डिफेंस और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास माना जा रहा है, लेकिन विभाग पूरे मामले की जांच करेगा।

मामले में SP का एक्शन

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा था। जब इसकी जानकारी SP मोहित गर्ग को लगी तो SP ने तुरंत संज्ञान लिया। प्राथमिक जंच के बाद SP ने आरोपी आरक्षक महेंद्र साहू को निलंबित कर दिया और पूरे मामले की जांच करने के आदेश दिए।

CCTV फुटेज बना सबूत

इस पूरी घटना ने एक बार फिर दिखा दिया है कि CCTV कैमरे न केवल आम जनता के लिए, बल्कि पुलिस विभाग के लिए भी पारदर्शिता लाने का माध्यम बन चुके है। वीडियो के सामने आने के बाद अब कार्रवाई टालना संभव नहीं हो पाया। जिसके चलते आरोपी आरक्षक को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दिए गए।