धरमजयगढ़। देश की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना, जिसका उद्देश्य सुदूर क्षेत्रों को राजमार्गों से जोड़ना है। इसकी आड़ में जमीनों की अफरा तफरी कर जलसाजों और अफसरों ने करोड़ों रूपये कमाए। इस तरह का घोटाला उजागर होने के बावजूद अब भी कुछ जिलों में इस तरह की हेराफेरी जारी है। आलम यह है कि संबंधित इलाकों में खेतों में रातों रात शेड खड़े किये जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो यहां की जमीनों पर मकानों की खेती की जा रही है।

इन दिनों इस तरह का नजारा छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। रायपुर और दीगर जिलों में जमीनों का छोटे टुकड़ों में बंटवारा करके करोड़ों का मुआवजा हासिल कर लिया गया, उसके इतर धरमजयगढ़ इलाके में इस तरह शेड बनाकर मुआवजा बढ़ाने की जुगत लगाई जा रही है। उरगा से पत्थलगांव के बीच प्रस्तावित भारतमाला परियोजना के अंतर्गत धरमजयगढ़ तहसील के कई गांव प्रभावित हैं, जिनमें बायसी कॉलोनी और मेंढरमार जैसे गांव प्रमुख हैं।

बदलना पड़ा सडक का एलाइनमेंट

विशेष बात यह है कि मेंढरमार और बायसी के समीप जिस भूभाग पर पहले भारतमाला परियोजना की एलाइनमेंट निर्धारित की गई थी, उसे कर्नाटक पावर कंपनी के कोल ब्लॉक के चलते अब बदलना पड़ा है। इस बदलाव की आड़ में अब एक नया संकट जन्म ले चुका है – यहां रातों-रात उगते अवैध शेड

बताया जा रहा है कि हाल ही में जब परियोजना से संबंधित सर्वेक्षण कंपनी के अधिकारियों ने बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के क्षेत्र में दौरा कर फाइनल एलाइनमेंट तय कर लाल झंडे गाड़ दिए, तो यह खबर गांवों में आग की तरह फैल गई। इसके बाद ग्रामीणों द्वारा आनन फानन में शेड निर्माण प्रारंभ कर दिया गया मानो वे वर्षों से इस योजना की प्रतीक्षा कर रहे हों। इस घटनाक्रम के पीछे मंशा साफ प्रतीत होती है – शासकीय मुआवजा राशि में हेरफेर कर अवैध लाभ प्राप्त करना। 

ऐसे ढांचे बनाकर बढ़ा रहे हैं मुआवजा

भारतमाला परियोजना के तहत प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण में जिस प्रकार से मुआवजा तय होता है, उसमें निर्माणाधीन या निर्मित ढांचों का बड़ा प्रभाव होता है। इसी का लाभ उठाने की कोशिश की जा रही है। संबंधित ज़मीन पर शेड, गोदाम अथवा मकान हों तो मुआवजा काफ़ी बढ़ जाता है, यही वज़ह है कि प्रतिबंध के बावजूद लोग शेड खड़े कर रहे हैं।

जिले में नहीं बनी कोई जांच समिति

गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व अभनपुर में सामने आए भारतमाला मुआवजा घोटाले के बाद, तत्कालीन बिलासपुर संभागायुक्त महादेव कावरे ने पूरे संभाग में जांच के संकेत दिए थे। रायगढ़ प्रवास के दौरान भी उन्होंने इस विषय पर गहन चर्चा की थी। परंतु, धरातल पर न कोई जांच समिति बनी, न ही किसी टीम ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया।

इस प्रशासनिक उदासीनता का ही परिणाम है कि अब मेंढरमार जैसे गांवों में शेड निर्माण की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। हालांकि, दो दिन पूर्व धरमजयगढ़ एसडीएम ने स्वयं मौके पर पहुंचकर मेंढरमार के संदिग्ध शेड निर्माण स्थल से लाल झंडे हटाए, और अब अवैध निर्माणकर्ताओं को नोटिस देने की प्रक्रिया आरंभ की जा रही है।

एक और मुआवजा घोटाला उजागर होना तय

रायगढ़ जिले में लारा और बजरमुड़ा में हुए इस तरह के घोटाले के उजागर होने के बाद कार्रवाई भी हुई मगर इसका कोई असर जिले के प्रशासनिक और राजस्व अमले पर पड़ता नजर नहीं आ रहा है। यहां बीपीएल श्रेणी के ग्रामीणों की जमीन पर जिस तरह रातों रात शेड बन रहे हैं, उससे यह साफ है कि इसमें राजस्व अमले और दलालों की मिलीभगत है। अब ज़ब यह मामला मीडिया में सुर्खियां बना तब अफसर कार्रवाई करने का ढोंग रच रहे हैं। अगर जिले और संभाग के अफसर अब भी नहीं चेते तो आने वाले समय में एक और मुआवजा घोटाला उजागर होना तय है।