0 डीएमएफ से 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की कार्य योजना तैयार
बिलासपुर। कुछ दिनों पूर्व ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बिलासपुर जिले में एजुकेशन हब बनाने की घोषणा की थी। इसी दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए जिला प्रशासन ने जिला खनिज न्यास (DMF) के मद से एजुकेशन हब बनाने की घोषणा की है। खनिज न्यास गवर्निंग काउंसिल की बैठक कलेक्टर संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई। जिसमें वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की नई वार्षिक कार्य योजना को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई।
इस बैठक में बिलासपुर समेत पूरे जिले के विकास के लिए रखे गए प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा की गई और उन्हें मंजूरी दी गई। प्रस्तावों में मुख्य रूप से शामिल हैं :-बिलासपुर में एजुकेशन हब के लिए 15 करोड़ रुपये, गोकने नाला पर पुल निर्माण के लिए 3.29 करोड़ रुपये, हर जोन क्षेत्र में वेंडिंग ज़ोन और आंगनबाड़ी भवन निर्माण के लिए 3.50 करोड़ रुपये, पंचायत विकास कार्यों के लिए 3 करोड़ रुपये, दिव्यांगजनों के कौशल विकास और अन्य योजनाओं के लिए 3 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 20 करोड़ रुपये, पेयजल व्यवस्था के लिए 4 करोड़ रुपये और पर्यटन विकास के लिए 5 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गए।
कोरबा जिले के DMF के हिस्से से खर्च
बता दें कि DMF की नई गाइडलाइन के तहत अब कोरबा जिले से DMF का कोई भी हिस्सा बिलासपुर जिले को नहीं मिलता, और वर्तमान में अकेले बिलासपुर जिले के अपने खनिज से DMF के तहत बमुश्किल 8 – 9 करोड़ रूपये की आय होती है। दरअसल कोरबा जिले से बिलासपुर को पूर्व में DMF की जो रकम मिलती थी, उसका काफी हिस्सा अभी जिले में बचा हुआ है। बताया जाता है कि यह रकम लगभग 3 से 4 सौ करोड़ रूपये है और इसी मद से लगभग 100 करोड़ रूपये की कार्य योजना खनिज न्यास गवर्निंग काउंसिल की बैठक में तैयार की गई।
इस बैठक में विशेष तौर पर यह बताया गया कि डीएमएफ से आमतौर पर उन योजनाओं को प्राथमिकता दी जाती है जिन्हें सरकार की किसी प्रमुख योजना के तहत विशेष रूप से कवर नहीं किया गया हो।

कोरबा का एजुकेशन हब हो गया था फेल
बताते चलें कि कोरबा जिले में लगभग डेढ़ सौ करोड़ की लगत से एजुकेशन हब (एकीकृत शैक्षणिक परिसर) का विशालकाय भवन बनाया गया था। योजना यह थी कि जिले भर के हॉस्टल यहां शिफ्ट कर दिए जायेंगे और प्रतिभावान बच्चों को यहां उच्च दर्जे की शिक्षा दी जाएगी। मगर भवन बन जाने के बाद यह सोचकर प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए कि इस केंद्र का संचालन किस तरह और किस मद से किया जायेगा। इस तरह उर्जाधानी में एजुकेशन हब की योजना धरी की धरी रह गई। आज इस भवन में सिपेट और कुछ हिस्से में स्कूल संचालित है, जबकि एजुकेशन हब के लिए लाये गए करोड़ों के फर्नीचर और अन्य सामान बेकार पड़े-पड़े बर्बाद हो गए हैं। अब न्यायधानी में एजुकेशन हब का सपना साकार करने की योजना बनाई गई है। देखना यह है कि आने वाली पीढ़ी को इसका क्या लाभ मिलता है।