CG News: रायपुर। देशभर में आज ट्रेड यूनियनों के ‘भारत बंद’ का मिलाजुला असर दिखा। राजधानी रायपुर में कई ट्रेड यूनियनों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। पंडरी स्थित एलआईसी दफ्तर के परिसर में भारत बंद के समर्थन में कर्मचारी हड़ताल पर बैठे। यूनियनों का कहना है कि सरकार की नीतियों से निजी कंपनियों को फायदा हो रहा है, लेकिन यह मजदूरों के हित में नहीं है।
CG News: ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार की “श्रमिक-विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक” नीतियों के खिलाफ विरोध जताने के लिए आम हड़ताल बुलाई है। बैंकिंग, बीमा, डाक, परिवहन, बिजली, कोयला, निर्माण जैसे कई क्षेत्रों के 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल रहे।
CG News: ट्रेड यूनियन संघ के अध्यक्ष धर्मराज महापात्र ने जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार की श्रमिक और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आज श्रमिकों की देशव्यापी आम हड़ताल में ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर संगठित और असंगठित क्षेत्र से जुड़े सैकड़ों कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।

CG News: धर्मराज महापात्र ने कहा कि देशव्यापी हड़ताल में बैंक, बीमा, पोस्टल, टेलीकॉम, रेलवे, स्टील, कोयला क्षेत्र सहित राज्य शासन और केंद्र सरकार कर्मियों के साथ असंगठित क्षेत्र के श्रमिक इस हड़ताल में शामिल हुए। केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन में इंटक, सीटू, एटक, एचएमएस, ऐक्टू सहित प्रमुख 10 केंद्रीय श्रम संगठनों और 100 से अधिक श्रमिक एवं जन संगठन हड़ताल में शामिल हुए।
CG News: संयुक्त किसान मोर्चा ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया। उन्होंने बताया कि कि रायपुर के तमाम मेहनतकश अपने कार्य स्थलों में हड़ताल करने के बाद एलआईसी के पंडरी स्थित मंडल कार्यालय में आयोजित संयुक्त सभा में शामिल हुए, जहां हड़ताल से संबंधित मुद्दों पर यूनियन लीडर्स ने अपने विचार रखे।
CG News: प्रमुख मांगें
ट्रेड यूनियन संघ की प्रमुख मांगों में सरकारी क्षेत्र में तत्काल नई भर्ती शुरू करने, न्यूनतम वेतन 26000 रूपये प्रतिमाह करने, महंगाई व बेरोजगारी पर रोक लगाने, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, प्रस्तावित बीमा संशोधन विधेयक पर रोक लगाने, वित्तीय क्षेत्रों में एफडीआई और निजीकरण पर रोक लगाने, सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्रों को बचाए रखने, धर्म और जाति के नाम पर जारी फसादों पर रोक लगाने, संविधान को बदल देने की मुहिम पर रोक लगाने, श्रम संहिताओं को वापस लेने, 35 घंटे का कार्य सप्ताह लागू करने, महिलाओं–दलितों और अल्पसंख्यकों पर जारी उत्पीड़न को रोक लगाने की मांग शामिल है।