नेशनल डेस्क। कोरोना वायरस का खौफ अब भी लगातार जारी है। दुनिया भर में वैश्विक महामारी covid-19 की वजह से करीब 20 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।

इनमें से करीब 70% मौतें अमीर देशों में हुई है। जबकि दुनिया की 70% से ज्यादा आबादी गरीब देशों में रहती है। जहां मौत का आंकड़ा 30% से भी कम है। जबकि साल 1918 में आए स्पैनिश फ्लू महामारी के दौरान गरीब देशों पर सबसे ज्यादा लोगो की मौत हुई थी।

ऐसी ही एक International Rescue Committee ने अप्रैल 2020 में जारी की थी। जिसके मुताबित कहा जा रहा था की दुनिया के 34 सबसे गरीब देशों में कोविड-19 वायरस का विनाशकारी प्रभाव होगा। इसकी वजह से करीब 1 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित और 30 लाख लोगों की कोरोना से मौत हो सकती है। रिपोर्ट में इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं में कमी, घनी आबादी और गंदगी जैसे कारण बताए गए थे।

शुरुआती दिनों के आंकड़े हुए गलत साबित

लेकिन मौजूदा आंकड़ों ने शुरुआती दिनों के आंकड़े को गलत साबित कर दिया है। इस वक्त हर 10 लाख लोगों में मौत का आंकड़ा भारत में 107 वहीं देश के क़रीबी देश पाकिस्तान में 48, बांग्लादेश में 47, इंडोनेशिया में 80 है।

साथ ही रिकॉर्ड में पता चला की आमिर देश बेल्जियम जैसे समृद्ध देश में कोविड-19 से हर 10 लाख पर 1734 लोगों की मौत हुई है। वहीं यूके, इटली और अमेरिका जैसे अमीर देशों का भी यही हाल है।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि ज्यादा प्रति व्यक्ति आय, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ, कम घनी आबादी होने के बावजूद अमीर देशों में कोविड-19 से मौत का आकड़ा ज्यादा और गरीब देशों में बेहतर स्थिति में क्यों हैं? इन सवालों के जवाब के लिए भारतीय रिसर्चर ने स्टडी किया है। जिसमे बीथिका चटर्जी, राजीव लक्ष्मण और डॉ शेखर मांडे शामिल हैं।

मौत का कारण बना अधिक साफ-सफाई!

स्टडी के मुताबिक पता चला की अधिक साफ-सफाई की वजह से अमीर देशों में ऑटो इम्यून बीमारियां कम होती हैं। इसलिए शरीर वायरस के प्रति पूरी तरह अनजान रहता है। कोरोना वायरस को देखकर भी शरीर ने ऐसी गंभीर प्रतिक्रिया दी जिससे अपने शरीर को ही नुकसान हुआ।

रिसर्च में यह भी देखा गया की ‘Hygiene Hypothesis’ के वजह से ऐसे देश जहां कम साफ-सफाई है वहां कम उम्र में ही लोग संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। इस वजह से उनकी इम्यूनिटी मजबूत हो जाती है।

साथ ही यह भी बताया गया की अमीर देशों में साफ-सफाई, हेल्थकेयर और वैक्सीन की सुविधा होती है जिस वजह से वो संक्रामक बीमारियों से बचे रहते हैं और उनका इम्यून सिस्टम इससे लड़ने के लिए तैयार नहीं होता।

अमीर देश के लोगो में इम्यून ट्रेनिंग की है जरूरत

हलाकि स्टडी में भले ही स्वच्छता की वजह से कोविड-19 से मौत का आंकड़ा ज्यादा दिखाया गया है लेकिन इसका मतलब नहीं है कि स्वच्छ देशों को गंदगी की तरफ बढ़ जाना चाहिए। स्टडी के मुताबिक माइक्रोबायोम थेरेपी के जरिए इम्यून ट्रेनिंग पर ध्यान देना चाहिए। जिससे शरीर ऐसे किसी संभावित वायरस से लड़ने के लिए तैयार रहे।

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