रायपुर। TB Free Chhattisgarh : क्षय रोग को प्रदेश में जड़ से मिटाने के लिए जिला क्षय रोग समिति रायपुर मार्च माह के प्रथम सप्ताह से चार विकासखण्डों की चार-चार ग्राम पंचायतों को चिह्नित कर वहां पर ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) रोगी पहचान के विषय में जानकारी देकर ग्राम पंचायत को अक्षय ग्राम बनाने का प्रयास किया जाएगा।

ग्राम पंचायत को अक्षय ग्राम बनाने की जानकारी देते हुए जिला क्षय रोग नोडल अधिकारी डॉ. अविनाश चतुर्वेदी ने बताया कि ग्राम पंचायतों में पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के सरपंच, पंच, ग्राम सचिव, मितानिन, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, स्व सहायता समूह की महिलाओं के साथ-साथ विलेज सैनिटेशन (ग्राम स्वच्छता) से जुड़े हुए सदस्यों को ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) रोगी की पहचान के विषय में जानकारी दी जाएगी, ताकि यह लोग जल्द ही टीबी के लक्षणों को पहचान कर रोगी को निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में भेज सकें।
इससे टीबी के रोगी का जल्द से जल्द उपचार शुरू किया जा सकेगा। सरकारी अस्पतालों में टीबी के संभावित रोगियों की स्क्रीनिंग भी की जाती है। परीक्षण उपरांत रोगियों का निशुल्क उपचार किया जाता है। डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि जिला क्षय रोग निवारण समिति प्रदेश सरकार के संकल्प को सफल बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश सरकार ने इसके लिए वर्ष 2023 का लक्ष्य तय किया है। इसके अंतर्गत टीबी हारेगा, छत्तीसगढ़ जीतेगा, देश जीतेगा का नारा दिया गया है। लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने एवं समुदाय में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने के उद्देश्य से टीबी चैंपियन फील्ड में उतारे जाएंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत क्षय रोगियों को इलाज के दौरान पोषण सहायता देने के लिए इंसेटिव प्रदान किया जाता है। उपचार करा रहे मरीजों को पांच सौ रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे हैं। यह राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जाती है।
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि रोगी पहचान कार्यक्रम में क्षय रोग के विषय में बताया जाएगा। क्षय रोग जोमाइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है। यह मनुष्य के फेफड़ों, मस्तिष्क, पीठ, घुटने आदि को क्षतिग्रस्त कर सकता है। साथ ही संक्रमित व्यक्ति को गंभीर रूप से बीमार बना देता है।
यह हैं टीबी होने के कारण
जैसे संक्रमित गाय का दूध पीने से, संक्रमित व्यक्ति की छींक व खांसी से, प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो तो शरीर में टीबी के जीवाणु पनपने लगते हैं। दो सप्ताह से अधिक खांसी रहना, अकारण वजन का घटना व भूख न लगना, लगातार थकावट रहना,एक सप्ताह से अधिक समय तक बुखार बने रहना इसके प्रमुख लक्षण हो सकते हैं।
उपचार
डॉक्टर से सलाह लें, डॉक्टर द्वारा बताई गई प्रतिरोधक दवाइयां नियमित रूप से पूरी अवधि तक लें। रोगी को अलग कमरे में रखें, फल सब्जियों से युक्त भोजन लें, शरीर में प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम सैर करने जाएं और समय पर बच्चों का टीकाकरण कराएं।