टीआरपी डेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार, होली (Holi) का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार होली 29 मार्च को है। होली से 8 दिनों तक होलाष्टक (Holashtak) लग जाता है।

इसी के तहत होलाष्टक पंचांग के अनुसार 22 मार्च से आरंभ हो रहे हैं। होलाष्टक होली से आठ दिन पूर्व आरंभ होते हैं। इसी कारण इसे होलाष्टक कहा जाता है। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि से होलाष्टक आरंभ हो रहे हैं।
होलाष्टक पर ग्रहों की स्थिति
होलाष्टक पर ग्रहों की चाल सभी 12 राशियों को प्रभावित कर रही है। पंचांग के अनुसार ग्रहों की अधिपति सूर्य देव मीन राशि में शुक्र के ग्रह के साथ विराजमान रहेंगे। इसके साथ ही न्याय के देवता शनिदेव देव गुरु बृहस्पति के साथ युति बनाकर मकर राशि में रहेंगे। इसके साथ ग्रहों के राजकुमार बुध ग्रह कुंभ राशि में रहेंगे।चंद्रमा इस दिन मिथुन राशि में रहेगा।
वृष राशि में अंगारक योग
होलाष्टक पर वृषभ राशि में मंगल और राहु की युति से अंगारक योग का निर्माण हो रहा है. वहीं केतु वृश्चिक राशि में गोचर कर रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में अंगारक योग को खतरनाक योग माना गया है। अंगारक योग के दौरान क्रोध, विवाद और दूसरों का अनादर करने से बचना चाहिए। इस दौरान वाहन और अग्नि का सावधानी पूर्वक प्रयोग करना चाहिए।
28 मार्च को होलाष्टक होंगे समाप्त
होलाष्टक का समापन होलिका दहन वाले दिन होगा. 28 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। पूर्णिमा की तिथि में ही शाम 6 बजकर 37 मिनट से रात्रि 8 बजकर 56 मिनट होलिक दहन का मुहूर्त बना हुआ है, रंगों की होली 29 मार्च सोमवार को प्रतिपदा तिथि में खेली जाएगी।
इस लिए नहीं किये जाते होलाष्टक में शुभ काम
ज्योतिष शास्त्रों में होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है. ऐसा इसलिए माना जाता है कि क्योंकि अष्टमी तिथि को कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग करने की कोशिश की थी। जिसके बाद भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। कामदेव को प्रेम का देवता मानते हैं जिसकी वजह से तीनों लोक में शोक छा गया था। इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव से क्षमा मांगी और शिव ने कामदेव को दोबारा जीवित करने का आश्वासन दिया।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्रहलाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने भक्ति को भंग करने और ध्यान भंग करने के लिए लगातार 8 दिनों तक कई तरह की यातनाएं और कष्ट दिए थे। ऐसे में कहा जाता है कि इन 8 दिनों तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
यही 8 दिन होलाष्टक कहे जाते हैं. 8वें दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाती है लेकिन प्रहलाद बच जाते हैं और होलिका जल जाती हैं। प्रहलाद के जीवित बचने की खुशी में दूसरे दिन रंगों की होली मनाई जाती है।
होलाष्टक के दौरान न करें ये काम
- होलाष्टक के दौरान शादी, भूमि पूजन, गृह प्रवेश, मांगलिक कार्य, नया व्यवसाय और नया काम शुरू करने से बचना चाहिए.
- इसके अलावा किसी भी तरह का यज्ञ, हवन नहीं करना चाहिए. इन दिनों में नवविवाहता को अपने मायके नहीं जाना चाहिए.
- शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक के दौरान 16 संस्कार जैसे कि विवाह संस्कार, जनेऊ संस्कार, नामकरण संस्कार जैसे कार्यों पर रोक लग जाती है.
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