पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है छत्तीसगढ़...
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टीआरपी डेस्क। कोरोना की रफ्तार कम होते ही छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल एकबार फिर से गुलजार होने लगे हैं। कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के हटने के बाद से प्रदेश के पर्यटन स्थल की पूछ-परख शुरू हो गई है। लोग सेफ्टी नॉर्म्स के साथ अपने घरों से बाहर निकलने लगे हैं। पर्यटन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों बारनवापारा, मैनपाट, चित्रकूट, सतरेंगा समेत अन्य स्थल पर्यटकों की पहली पसंद बने हुए हैं।

छत्तीसगढ़ मध्य भारत का एक ऐसा राज्य है जो अपने मंदिरों और झरनों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की नदियां, मनोरम पहाड़ियां, प्राकृतिक खूबसूरती और विविधता अपने आप ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। कोरोना महामारी के दौरान जहां पर्यटन उद्योग आर्थिक रूप से सबसे अधिक प्रभावित हुआ। वहीं इन सबके बावजूद छत्तीसगढ़ शासन ने विकास की गति को अवरूद्ध नहीं होने दिया है।

वन्यजीव विविधता के लिए प्रसिद्ध है बारनवापारा के जंगल

बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य छत्तीसगढ़ में सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह 1976 के वर्ष में स्थापित किया गया था और यह 245 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। यह स्थान छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग ढाई घंटे की दूरी साझा करता है। यह अभ्यारण्य छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाता है। यहाँ पर पानी का मुख्य साधन महानदी की सहायक नदियाँ है। यहाँ पर महानदी की सहायक नदियों में से बालमदेही पश्चिमी तथा जोंक नदी उत्तर पूर्वी सीमा पर स्थित हैं।

इस अभ्यारण्य में चार सिंग वाले हिरण, बाघ, तेंदुए, जंगली भैंसे, अजगर, हिरण आदि हैं। भालू, उड़ने वाली गिलहरी, भौंकने वाले हिरण, साही, सियार, तेंदुए, लकड़बग्घा, सांभर, बाघ और बहुत से जानवर यहाँ पाए जाते हैं। यहाँ पक्षी भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं, उनमें से कुछ हैं जैसे कि अर्गेट्स, कठफोड़वा, मोर, तोते। बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य में आम हैं, बांस, सागौन, महुआ, तेंदू जैसे पर्णपाती पेड़ों से बना है। यहाँ चाय, साल और मिश्रित जंगलों से युक्त एक वर्गीकृत अभयारण्य है|

प्राकृतिक झरनों का स्थल चित्रकूट

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित चित्रकूट प्राकृतिक झरनों में से एक है। यह भारत के प्रमुख इकोटूरिज्म डेस्टीनेशन्स में से एक है। जिसमें झरने, पहाड़ियाँ, घाटियाँ और समृद्ध भू-भाग हैं। चित्रकूट की यात्रा का सबसे अच्छा समय जुलाई और अक्टूबर के महीनों के बीच होता है। इसके अलावा झरने के समीप होने वाला सूर्यास्त भी आपको मंत्रमुग्ध करता है।

इसे भारत के मिनी-नियाग्रा फॉल के रूप में भी जाना जाता है। यह घोड़े के आकार का झरना लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरता है। घने वनस्पति और कैस्केड के माध्यम से अपना रास्ता बनाते हुए, यह एक शानदार दृश्य बनाता है।कुल मिलाकर चित्रकूट एक बेहद सुंदर पर्यटन स्थल है। अगर आप एडवेंचर एक्टिविटी के शौकीन हैं तो आप झरने के कम प्रवाह के दौपान चप्पू वाली नावों का उपयोग फॉल्स के ऊपरी हिस्से में बने पूल पर कर सकते हैं।

दार्जलिंग-शिमला-उंटी या कुल्लू-मनाली है छत्तीसगढ़ का सरोदा दादर

दार्जलिंग, शिमला, कुल्लू-मनाली या फिर उंटी जैसे प्रमुख प्रर्यटन स्थल का आनंद लेने के लिए पर्यटक छत्तीसगढ़ के सरोदा दादर आ सकते हैं। जो कबीरधाम जिला मुख्यालय से 48 और चिल्फी से मात्र 3 किमी की दूरी पर स्थित है। इसे एशिया का केंद्र बिंदु भी माना जाता है। सरोदा दादर समुद्र तल से 900 मीटर की ऊंचाई पर है जो मैकल पर्वत श्रेणी की सबसे ऊंची चोटी है। सरोदा दादर जिला मुख्यालय से लगभग 32 किमी की दूरी पर चिल्फी घाटी की पहाड़ी में बैगा ग्राम सरोदा दादर स्थित है ।

यह छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश की सीमा के निकट है। इस क्षेत्र में बैगा जनजाति निवासरत हैं। यहां पर्यटन की दृष्टि से उपयुक्त ग्रामीण परिवेश और इको-पर्यटन की दृष्टि से प्राकृतिक स्थल पर्यटकों के लिए उपलब्ध है। सरोदा दादर में पर्यटकों के लिए वॉच टॉवर बनाया गया है। जहां से मैकल पर्वत श्रेणी की श्रृंखला नजर आती है। यहां का सौंदर्य दृश्य बादलों के बीच से निकलने वाली सूर्य की पहली किरण देखना आकर्षण का केन्द्र है। यहां पर स्थानीय लोगों के अलावा राज्य व देशभर से पर्यटक पहुंचते हैं। वहीं फ्रांस और रूस से भी पर्यटक यहां की अलौकिक सुंदरता का मजा लेने पहुंचते हैं।

सतरेंगा एक खुबसुरत पिकनिक स्पॉट

सतरेंगा कोरबा जिले का एक बहुत ही खुबसुरत पिकनिक स्पॉट है। हर साल यहां सैकड़ो कि संख्‍या में टूरिस्‍ट आते हैं। यह कोरबा शहर से लगभग 38 कि.मी. और बिलासपुर शहर से लगभग 126 कि.मी. की दूरी पर हसदेव-बांगो रिसर्वायर में सतरेंगा गांव के पास स्थित है। पहाड़ो से घिरे इस झील का आनंद लेने के लिए छत्‍तीसगढ़ हर कोने से लोग यहां आते है।

यहां लोगो की भीड़ फैमिली और दोस्‍तों के साथ पिकनिक या बोटिंग, नेचर कैम्‍पिंग के लिए ही होती है। यहां इस जगह की डेवलपमेंट मीटिंग के बाद एक कैन्‍टिन एरिया भी बनाया गया है। सतरेंगा पिकनिक स्‍पॉट के पास कुछ और टूरिस्‍ट प्‍लेसेस भी हैं, जहां पर भी काफी भीड़ होती है। इनमें शामिल है- देवपहरी जलप्रपात, हसदेव-बांगो डैम, बुका जल-विहार और गोल्‍डन आइलैंड ।

मैनपाट, छत्तीसगढ़ का “मिनी तिब्बत”

छत्तीसगढ़ का मैनपाट एक अंडरग्राउंड हिल स्टेशन है। इसे छत्तीसगढ़ का शिमला और “मिनी तिब्बत” के रूप में भी जाना जाता है। मैंनपाट विन्ध पर्वत माला पर स्थित है जिसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 फीट है इसकी लम्बाई 28 किलोमीटर और चौडाई 10 से 13 किलोमीटर है। प्राकृतिक सम्पदा से भरपुर यह एक सुन्दर स्थल है। यहां सरभंजा जल प्रपात, टाईगर प्वांइट तथा मछली प्वांइट प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। यहां तिब्बती लोगों का जीवन एवं बौध मंदिर आकर्षण का केन्द्र है।

यहां ऊंचाई पर स्थित सपाट मैदान और चारों तरफ की खुली वादियां और हवा के झोंकों में अलौकिक शांति मिलती है। बौद्ध भिच्छुओं के शांत सौम्य चेहरों और कालीन बुनते तिब्बतियों को देखकर ऐसा महसूस होता है कि हम नाथूला दर्रे को पार कर तिब्बत के किसी सुंदर गांव में पहुंच गए हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र में तिब्बतियों की बड़ी आबादी विकसित हो चुकी है। यदि आप तिब्बत की सभ्यता, संस्कृति, रहन-सहन और परंपरा की झलक पाना चाहते हैं तो छत्तीसगढ़ का मैनपाट आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

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