छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
Breaking News : हाईकोर्ट ने शिक्षक और हेडमास्टर के प्रमोशन पर लगाई रोक, राज्य शासन को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में मांगा जवाब

बिलासपुर। स्कूल शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला की संविदा नियुक्ति पर 15 नवंबर को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। बिलासपुर हाईकोर्ट ने इसे याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया है। बता दें कि याचिकाकर्ता रुस्तम भाटी के द्वारा जनहित याचिका प्रस्तुत की गई थी। जिसके विरोध में छत्तीसगढ़ शासन एवं आलोक शुक्ला के वकीलों द्वारा याचिका पर आपत्ति की गई थी कि उपरोक्त याचिका जनहित याचिका के रूप में चलने योग्य नहीं है। क्योंकि रुस्तम भाटी एक पार्टी विशेष के पदाधिकारी है।

बता दें कि दिनांक 24/09/2021 को माननीय उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्यन्यायधिपति प्रशांत मिश्रा एवं न्यायाधीश नरेश कुमार चंद्रवंशी की युगलपीठ की युगलपीठ में अंतिम रूप से बहस हुई। जिसका फैसला हाईकोर्ट ने 4 अक्टूबर को सुनाया कि राज्य शाशन एवं आलोक शुकला की आपत्ति स्वीकार नही है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि उपरोक्त मामला जनहित याचिका के रूप में चलने योग्य है।

यह एक मात्र कारण नहीं हो सकता कि एक पार्टी विशेष का आदमी इस प्रकरण पर PIL नहीं लगा सकता। अब आगे उनकी नियुक्ति नियमानुसार है अथवा नहीं पर सुनवाई होगी। मामले की अगली सुनवाई 15 नवंबर को होनी है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता के. राघवाचार्यलू, अशुतोष पांडेय,हिमांशु सिन्हा,ए. वही. श्रीधर, शशांक ठाकुर एवं वैभव शुक्ला ने पैरवी की।

याचिकाकर्ता के वकीलों ने कोर्ट के समक्ष आलोक शुक्ला की योग्यता, उपयुक्तता एवं अहर्ता पर सवाल खड़े किए। वकीलों ने यह भी बताया कि आलोक शुक्ला बहुचर्चित नान घोटाले के आरोपी हैं। ऐसे व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा प्रमुख सचिव के पद पर बिठाया जाना, संविदा नियुक्ति में निहित प्रावधानों के विपरीत है। राज्य शासन की और से स्वयं महाअधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा एवं उपमहाधिवक्ता अनिमेष तिवारी ने पैरवी की एवं आलोक शुक्ला की ओर से पैरवी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अवि सिंह ने पैरवी की।

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