जाली सर्टिफिकेट के सहारे काम कर रहीं हैं एम्बुलेंस कंपनियां, आखिर किसकी शह मिल रही है इन्हें
  • महतारी वाहन सेवा के टेंडर में हुआ था फर्जी सर्टिफिकेट का खुलासा…

रायपुर। पुलिस विभाग की डायल 112 सेवा से जुड़े एक फर्म द्वारा स्वास्थ्य विभाग की महतारी एम्बुलेंस सेवा के टेंडर में जाली सर्टिफिकेट इस्तेमाल करने का खुलासा पिछले साल ही हो चुका है। दिलचस्प यह है कि जाली सर्टिफिकेट लगाने वाली कंपनी पर अब भी मेहरबानी हो रही है।

इस कंपनी का नाम है एबीपी टूर एंड ट्रेवल्स फैसिलिटी मैनेजमेंट, जो गुड़गांव की है और पुलिस विभाग की डायल 112 सी 4 सेवा के तहत थानों में मुहैया कराये गए वाहनों के लिए ड्राइवर उपलब्ध कराती है।

सेवा की आड़ में चल रहा है व्यापार

छत्तीसगढ़ में मरीजों को तत्काल चिकित्सकीय सुविधा देने के लिए 108 एम्बुलेंस सेवा, 102 महतारी वाहन सेवा, 104 मुक्तांजलि वाहन सेवा और फिर 112 वाहन सेवा संचालित हैं। 112 वाहन सेवा से जुड़ी कंपनी एबीपी टूर एंड ट्रेवल्स फैसिलिटी मैनेजमेंट, जो गुड़गांव की है और पुलिस विभाग की डायल 112 सी – 4 सेवा के तहत थानों में मुहैया कराये गए वाहनों के लिए ड्राइवर उपलब्ध कराती है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग ने महतारी वाहन सेवा 104 का अप्रैल 2020 में टेंडर निकाला था। इस वाहन सेवा के लिए एबीपी ने भी टेंडर भरा। इसके टेक्निकल बीड में एबीपी ने पुलिस की सी-4 डायल 112 वाहन सेवा में काम करने का अनुभव प्रमाण पत्र अटैच किया था।

फर्जी निकला अनुभव प्रमाण पत्र

स्वास्थ्य विभाग की महतारी वाहन सेवा के टेंडर में एल-1 आने के बाद विभाग ने पुष्टि के लिए एबीपी के अनुभव प्रमाण पत्र को एडीजी पुलिस, फाइनेंस प्लानिंग टेक्निकल सर्विसेस के पास भेजा। जांच में अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी निकला।

अब तक नहीं हुई कोई भी कार्रवाई

स्वास्थ्य विभाग से करोड़ों का टेंडर लेने के फेर में एबीपी कंपनी ने पुलिस विभाग का फर्जी प्रमाण पत्र लगाया। इस मामले में सम्बंधित कंपनी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई, यह आश्चर्य का विषय है। इतना ही नहीं पुलिस विभाग की 112 वाहन सेवा में एबीपी कंपनी की सेवाएं अब भी जारी हैं। अधिकारियों से अच्छे संबंध के चलते इस कंपनी को बख्श दिया गया है।

टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड है 112 सेवा की मुख्य कंपनी

पुलिस महानिदेशक द्वारा स्वास्थ्य विभाग को दी गयी जानकारी के मुताबिक सी 4 डायल 112 वाहन सेवा में टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड लीड बीडर सिस्टम इंटीग्रेटर है। वहीं टाटा प्रोजेक्ट, रोल्टा और एबीपी कंसोर्टियम सदस्य हैं। एबीपी के चार डायरेक्टर राहुल राव, राकेश कुमार हंस, ब्रह्म प्रकाश और संजीव सिंह हैं, जो दिल्ली के रहने वाले हैं। बताया जाता है कि चरों डायरेक्टर काफी रसूखदार हैं साथ ही उनके प्रमुख राजनेताओं से इनके अच्छे संबंध हैं।

मध्य प्रदेश में भी लगाया फर्जी प्रमाण पत्र

एबीपी कंपनी द्वारा इसी तरह का फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र मध्यप्रदेश में भी पुलिस की डायल 100 सेवा के टेंडर में लगाया । दरअसल एबीपी ने अशोका बिल्डकॉन के साथ मिलकर 600 करोड़ की वाहन सेवा का टेंडर भरा था। इसमें एबीपी ने आईबीएम कंपनी में 300 वाहन अथवा एम्बुलेंस का काम करने सम्बन्धी अनुभव का प्रमाण पत्र जमा किया है। जिसके चलते अशोका बिल्डकॉन को टेंडर मिल गया। मगर बाद में की गई जांच के दौरान जाली प्रमाण पत्र का खुलासा हुआ।

आईजी ने कार्रवाई के लिए एसपी को भेजा प्रकरण, पर एसपी को अब तक नहीं मिला पत्र

इस फर्जीवाड़े के सम्बन्ध में टीआरपी न्यूज़ ने आईजी आर के विज से बात की तो उन्होंने बताया कि इस मामले में एबीपी कंपनी के अधिकारी ने निचले स्तर के अधिकारी द्वारा की गई गलती बताकर माफ़ी मांग ली है। हालाँकि मामले में आगे की कार्यवाही के लिए एसपी, रायपुर को भेज दिया है।

इधर एसपी, रायपुर अजय यादव का कहना है कि उन्हें इस तरह का पत्र नहीं मिला है। अगर पत्र आता है तो देखा जायेगा।

पी पी ई के टेंडर में भी हुआ था फर्जीवाड़ा

  • कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग की निविदा में पीपीई किट कवर के टेंडर में एल-1 आने वाली फर्म पीडी इंटरप्राइजेस (ऑथराईज्ड मेसर्स बीकेएस मार्केटिंग एंड इनोवेशन प्रा.लि.) ने भारत सरकार के डीआरडीओ के सर्टीफिकेट में काट-छांट किया। इसी फर्जी दस्तावेज से वह निविदा में चयनित भी हो गया। इस मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
  • इसी तरह 108 एम्बुलेंस में सेवा के टेंडर में जय अम्बे नामक फर्म ने बिहार सरकार के अधीन एम्बुलेंस सेवा का फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाया, यह मामला उजागर होने के बावजूद इस फर्म का टेंडर कैंसिल नहीं किया गया।
  • नियम के ऐसे मुताबिक ऐसे फर्मों का टेंडर कैंसिल करके उन्हें काली सूची में डाला जाना चाहिए मगर सेटिंग वाले टेंडर को अधिकारी आखिर कैसे निरस्त करेंगे

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