बलरामपुर: लॉक डाउन के बीच छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में वाड्रफनगर एसडीएम ज्योति बबली बैरागी को सस्पेंड कर दिया गया है। विभागीय जांच में मनरेगा के तहत हुए निर्माण कार्यों में 14 लाख रुपए गबन में एसडीएम दोषी पाई गईं। करीब एक साल पुराने इस मामले में तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी अश्वनी तिवारी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं। एसडीएम बैरागी एक दिन पहले ही एसडीओपी दुर्गेश अग्रवाल से विवाद के बाद सुर्खियों में आईं थीं।

दरअसल, वर्ष 2014-15 और 2015-16 में वाड्रफनगर जनपद के ग्राम चपोता में मनरेगा के तहत मिट्टी मुरूम सड़क और पुलिया निर्माण, तुंगवा पंचायत में नदी किनारे तटबंध, जमई में मुख्य मार्ग से घोघर पारा तक रोड और पेंडारी में मिट्टी मुरूम रोड और पुलिया निर्माण कार्य कराया जाना था। इन कार्यों के एवज में मेसर्स हरिहर यादव सप्लायर और मेसर्स साहू जनरल सप्लायर रघुनाथ नगर को 38.58 लाख का भुगतान किया गया।

बिना काम कराए दो फर्मों को कर दिया था भुगतान
हालांकि जांच के दौरान पता चला कि इनमें से बहुत सारे काम कराए बिना ही फर्जी तरीके से भुगतान कर दिया गया। जांच में सामने आया कि इस तरह से 14 लाख रुपए से ज्यादा का गबन किया गया है। इस दौरान वाड्रफनगर जनपद पंचायत में राजस्व खर्च के लिए सीईओ के रूप में ज्योति बबली पदस्थ थीं। सरगुजा संंभाग आयुक्त ने जिला पंचायत सीईओ से जानकारी लेने के बाद निलंबन के आदेश जारी कर दिए।

उस समय अश्वनी तिवारी कार्यक्रम अधिकारी थे। यह पद संविदा पर होने और उनके नौकरी छोड़कर जाने के कारण एफआईआर के आदेश दिए गए हैं। साथ ही संभाग आयुक्त ने मनरेगा घोटाले की फाइल दबाए रखे जाने के मसले पर नाराजगी जताई है। साथ ही एक माह में जांच पूरी कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। निलंबन की अवधि में एसडीएम ज्योति बबली सूरजपुर मुख्यालय से अटैच रहेंगी।