लंदन। पूरी दुनिया इस समय कोरोना के कहर से जूझ रही है। वहीं दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना के खिलाफ कारगर वैक्सीन के ईजाद में जुटे हुए हैं। ऐसे में ब्रिटिश वैज्ञानिकों को एक बड़ा झटका लगा है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार वैक्सीन का जिस माइक्रो बॉयोलॉजिस्ट को पहला टीका लगाया गया, उसकी ट्रायल के कुछ घंटों बाद ही मौत हो गई।

इस वैक्सीन का शुक्रवार को इंसानों पर परीक्षण शुरू किया गया था और माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट एलिसा को इसका पहला टीका लगाया गया था। इससे पहले चीन के वैज्ञानिकों को वैक्सीन के ट्रायल में निराशा हाथ लगी थी।

वैज्ञानिकों द्वारा एलीसा के मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए 800 लोगों में से एलिसा ग्रैनेटो को चुना गया था।

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एलिसा को लगाए गए टीके पर पूरे विश्व की निगाहें टिकी थीं, लेकिन एलिसा की मौत ने इस परीक्षण पर सवाल खड़े कर दिए हैं और दुनिया की उम्मीदों पर फिर पानी फेर दिया है। वैज्ञानिकों का दावा था कि यह टीका शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करेगा, जिससे कोरोना वायरस से लड़ने में मदद मिलेगी।

बता दें कि टीका लगने के बाद एलिसा ग्रैनैटो ने कहा था कि मैं एक वैज्ञानिक हूं, इसलिए रिसर्च को सपोर्ट करना चाहती हूं। मैंने वायरस पर कोई स्टडी नहीं की है, इसलिए खुद अच्छा महसूस नहीं कर रही थी। इस काम में सहयोग करने का यह सबसे आसान तरीका है।

संयोग की बात यह है कि गुरुवार को ही एलिसा का 32वां जन्मदिन था और इसी दिन उन्हें यह वैक्सीन लगाया गया।

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एलिसा के साथ ही कैंसर पर रिसर्च करने वाले एडवर्ड ओनील को भी टीका लगाया गया है। एलिसा को जहां कोविड-19 की वैक्सीन का टीका लगाया गया वहीं, ओनील को मेनिनजाइटिस का टीका लगाया है। मेनिनजाइटिस भी एक संक्रामक बीमारी होती है।

इसमें दिमाग और रीढ़ की हड्डी की झिल्ली में सूजन आ जाती है। एलिसा और ओनील की 48 घंटे मॉनिटरिंग की जा रही थी। इन पर वैक्सीन का प्रभाव समझने के बाद ही वैज्ञानिक दूसरे वॉलंटियरों को टीका लगाना था। ह्यूमन ट्रायल के दूसरे चरण के लिए 18 से 55 साल तक के स्वस्थ्य लोगों का चयन किया गया था।

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