रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) की पिछले कुछ दिनों से किरकिरी हो रही है। सरकार को पिछले कुछ दिनों से हाई कोर्ट (High Court) में लगातार कई मामलों में स्टे मिल रहा है। फिर चाहे बात अंतागढ़ टेपकांड (Antagarh Tepecase) की हो या फिर नान घोटाले की या आरक्षण (Reservation) की। हर बार सरकार को कोर्ट में मुंह की खानी पड़ रही है।

ज्यादातर मामले हैं हाई प्रोफाइल

छत्तीसगढ़ सरकार को जिन मामलों में स्टे मिला है उनसे से ज्यादातर मामले हाई प्रोफाइल हैं। इन मामलों में सरकार की साख भी दांव पर लगी थी। अब इन मामलों में सत्ता पक्ष को लगातार मिल रही असफलता से प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है। एकबार फिर कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की कांग्रेस (Congress) सरकार को पिछले 9 माह में बिलासपुर (Bilaspur) हाई कोर्ट (High Court) में आधा दर्जन से अधिक बार मुंह की खानी पड़ी है।

इन मामलों में सरकार को मिली असफलता

  • निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट ने रोक लगाई।
  • अंतागढ़ टेपकांड में वाइस सैंपल लेने के मामले को कोर्ट ने किय खारिज।
  • नान के मुख्य आरोपी एसएस भट्ट का 164 का आवेदन अस्वीकार।
  • जन्म स्थान वाले मामले में हाई कोर्ट से अमित जोगी को जमानत।
  • फोन टेपिंग मामले में आईपीएस रजनेश सिंह की गिरफ्तारी पर रोक।
  • डीकेएस घोटाले में डॉ. रमन सिंह के दमाद पुनित गुप्ता को कोर्ट से अग्रिम जमानत।
  • आरक्षण बढ़ाने के सरकारी फरमान पर हाईकोर्ट का स्थगन।

कोर्ट में कमजोर साबित हो रही सरकार

कई बड़े मामलों में राज्य सरकार ने कार्रवाई करने के लिए एसआईटी का गठन किया था। लेकिन कोर्ट पहुंचते ही सत्ता पक्ष कमजोर हो गया। कोर्ट ने कई मामलों में रोक लगा दी। सरकार के विधि मंत्री मो. अकबर इसे सरकार की किरकिरी नहीं मानते उन्होंने कहा कि बेहतर तैयारियों के साथ दोबारा पक्ष रखा जाएगा।

वहीं बीजेपी के प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी इसे बदलापुर की राजनीति की करारी हार रहे हैं। वहीं कानून विशेषज्ञ सरकार की कमजोर तैयारियों और जल्दबाजी में लिए हुए फैसलों का परिणाम बता रहे हैं।

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