प्रसिद्ध है सिरपुर का गंधेश्वर मंदिर, जहां शिवलिंग से निकलती है गंध
प्रसिद्ध है सिरपुर का गंधेश्वर मंदिर, जहां शिवलिंग से निकलती है गंध

टीआरपी डेस्क। भोलेनाथ को भक्त कहीं विश्वनाथ के नाम से तो कही भूतनाथ के नाम से पूजते है। देवो के देव महादेव की पूजा पूरे विश्व में विभिन्न रूपों एवं नामों से होती है। छत्तीसगढ़ के प्राचीन शिवालयों में से एक सिरपुर में भगवान शंकर की पूजा गंधेश्वर के रूप में होती है। मान्यता है कि इस शिवलिंग से गंध निकलती है। शिवरात्री में यहां मेला लगता है।

जानकारों की मानें तो गंधेश्‍वर मंदिर में मौजूद का शिविलंग लगभग 2 हजार वर्ष पुराना है। इसकी सबसे खास बात ये है कि शिवलिंग से तुलसी के पत्तों सी खुशबू आती है। वहीं एक तथ्य ये भी है कि गंधेश्‍वर शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों वाले पत्थर से बना हुआ है।

महानदी के किनारे है यह मंदिर

सरस सलिला महानदी के पावन तट पर सिरपुर नगरी में भगवान शंकर की पूजा गंधेश्वर के रूप में होती है। नदी के किनारे यह मंदिर है जिसका निर्माण 8 वीं शताब्दी मे बाला अर्जुन के समय बाणासुर के द्वारा कराया गया था। देवकथा है कि बाणासुर हमेशा पूजा के लिए काशी जाते थे और वहां से एक शिवलिंग उठा कर लाते थे। एक दिन भगवान शंकर ने बाणासुर से कहा तुम हमेशा काशी आते हो अब मैं सिरपुर में ही प्रगट हो रहा हूँ। तब बाणासुर बोले मैं तो बहुत सारे शिवलिंग स्थापित किया हूँ।

मुझे कैसे पता चलेगा की आप किस पर विराजमान है। तो भगवान ने कहा की जिस शिवलिंग से खुशबू निकलेगी तुम उसी की पूजा करो, तब से गंधेश्वर की पूजा होती है। गंधेश्वर मंदिर के पुजारी धर्मेन्द्र गिरी गोस्वामी का कहना है कि शिवरात्री एवं सावन में शिव के पूजा का विशेष महत्व होता है। भक्त भी इस मौके पर अपनी मुरादे लकरे मंदिर आते है और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।

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