भिलाई। छत्तीसगढ़ में भिलाई स्थित सिसकोल स्टील इंफ़्रा सॉल्यूशन प्राइवेट कंपनी (Siscol) के द्वारा एक मृत कर्मी के मुआवजा राशि डकारने की करतूत पर स्थानीय प्रशासन ने फटकार लगाई है। मामले को तत्काल संज्ञान में लेते हुए दुर्ग कलेक्टर और सहायक श्रम आयुक्त ने सिसकोल (Siscol) कंपनी को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

बता दें कि द रूरल प्रेस (TRP) ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। द रूरल प्रेस ने “शर्मनाक : सिसकॉल कंपनी ने की मानवता की सारी हदें पार, मृत कर्मी की क्षतिपूर्ति राशि में डाला डाका, इलाज का खर्चा जोड़कर पीड़ित परिवार को लगाया चूना” नामक शीर्षक से खबर को प्रकाशित किया था।

इस मामले में भिलाई यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई भी पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए समर्थन में सामने आ गया है। भिलाई यूथ कांग्रेस अध्यक्ष अफरोज खान और एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष आदित्य सिंह ने संयुक्त रूप से दुर्ग के जिलाधीश व सहायक श्रम आयुक्त भिलाई को ज्ञापन सौंपकर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित सिसकोल (SISCOL) नामक कंपनी में काम करने वाले मृत कर्मी के पीड़ित परिवार को पूरा मुआवजा राशि दिलाने की मांग की है।
साथ ही कंपनी में कार्यरत समस्त कर्मचारियों का ईएसआईसी एवं पी.एफ.और डब्लू.सी पॉलिसी का लाभ मिल रहा है या नहीं? इसकी संपूर्ण जांच कराने की आवाज उठाई है।

यूथ कांग्रेस अध्यक्ष अफरोज खान ने बताया कि सिसकोल कंपनी द्वारा क्षतिपूर्ति और मुआवजे के नाम पर मृत कर्मचारी नेयिला के परिवार को लगभग 15 लाख रुपए लिखित में कंपनी ने देना स्वीकार किया था,परंतु पीड़ित परिवार को मात्र 7 लाख रुपए देकर ठगा गया। वहीँ बाक़ी पैसों में इलाज और अंत्येष्टि का खर्च बताकर पीड़ित परिवार के साथ विश्वासघात किया गया|

एनएसयूआई के ज़िलाध्यक्ष आदित्य सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले की जाँच और वादे के मुताबिक़ पूरी राशि पीड़ित परिवार को दिलाने के मामले में ज्ञापन सौंपा गया है. कलेक्टर और सहायक श्रम आयुक्त ने तत्काल नोटिस जारी कर कार्यवाही के आदेश दिए हैं। अगर सिसकोल प्रबंधन ने जल्द ही हमारी माँगे नहीं मानी तो मामले में मुख्यमंत्री और श्रम मंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की जाएगी एवं पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जायेगा।

ये है मामला

बता दें कि सिसकोल स्टील इंफ़्रा सॉल्यूशन प्राइवेट कंपनी की यूनिट में कार्यरत एक कर्मी नेयिल्ला ट्रनो बेहरा औद्योगिक दुर्घटना का शिकार हो गया था। कंपनी में कार्य के दौरान हादसे का शिकार हुए कर्मी की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। कर्मी की मौत के बाद कंपनी ने उनके परिजन को क्षतिपूर्ति राशि तो दी, लेकिन उस क्षतिपूर्ति राशि में मृतक कर्मी के उपचार पर आए खर्च की रकम भी जोड़ दी थी। ऐसे में आर्थिक क्षति से परेशान परिवार लगातार न्याय के लिए भटक रहा था।