टीआरपी डेस्क। दुनिया चमत्कारों से भरी पड़ी है और इन्हीं में से कुछ हमारे देश में ही हैं। अब लोनार झील को ही ले लीजिए। महाराष्ट्र में स्थित इस झील का रंग अचानक से लाल हो गया है। इस वजह से यह झील अचानक से चर्चा में आ गई है।

लाखों वर्ष पुरानी इस झील का निर्माण कैसे हुआ, इस बारे में आज तक कोई वैज्ञानिक पता नहीं लगा पाया है। झील का रंग अचानक लाल कैसे हुआ, इस बारे में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी में लवणता और शैवालों के रंग बदलने के कारण ऐसा हो सकता है। इस झील का संबंध वेदों और पुराणों से भी बताया जा रहा है।


आइए जानते हैं इस झील के बारे में दिलचस्प बातें
65 लाख साल पुरानी है झील
महाराष्ट्र के बुलढाना जिले में स्थित यह झील करीब 5 लाख साल पुरानी बताई जा रही है। 70 के दशक तक वैज्ञानिकों का मानना था कि यह झील विशालकाय ज्वालामुखी के मुख से बनी थी। मगर उसके बाद कई शोध हुए तो बताया गया कि इस झील का निर्माण उल्का पिंड के पृथ्वी से तेजी से टकराने के कारण बनीं। वर्ष 2010 से पहले माना जाता था कि यह झील 52 हजार साल पुरानी है। मगर दोबारा हुए शोध में पता चला कि यह झील 5 लाख 70 हजार साल पुरानी है। संभव है कि यह झील रामायण और महाभारत काल में भी रही होगी।
वेद पुराणों में मिलता है जिक्र
हमारे प्रचीनतम वेद और पुराण में भी इस झील के बारे में बताया गया है। लोनार झील के बारे में ऋग्वेद और स्कंद पुराण में बताया गया है। इन दोनों महाग्रंथ में इस झील के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके अलावा पद्म पुराण और आईन-ए-अकबरी में भी इस झील के बारे में बताया गया है।
इतना ही नहीं बताया जाता है कि लोनार झील के पास कई प्राचीन मंदिरों के भी अवशेष मिलते हैं। इसमें दैत्यसुदन मंदिर भी शामिल है। इस मंदिर में भगवान विष्णु, दुर्गा, सूर्य और नरसिंह भगवान को समर्पित है। इसकी बनावट खजुराहो के मंदिरों से काफी मिलती-जुलती है। इसके अलावा यहां प्राचीन लोनारधर मंदिर, कमलजा मंदिर स्थित है। वहीं 10वीं शताब्दी में खारे पानी की झील के तट पर शिव मंदिर का निर्माण हुआ था। जिसमें 12 शिवलिंगों को स्थापित किया गया था।
मंगल की सतह से मिलती-जुलती
दुनिया भर की वैज्ञानिक एजेंसी इस झील के बारे में शोध कर चुकी हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का मानना है कि बेसाल्टिक चट्टानों से बनी यह झील बिल्कुल वैसी ही है जैसी मंगल ग्रह की सतह पर बनी झीलें हैं। इसके पानी के रासायनिक गुण भी वहीं की झीलों के पानी के रासायनिक गुणों से मिलते-जुलते हैं।
खारा है इस झील का पानी
लोनार झील के पानी की प्रकृति खारे पानी की है। बताजा जाता है कि यह झील पहले भी कई बार सूख चुकी है। यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि वर्ष 2006 में यह झील सूख चुकी थी। इस झील में नमक और अन्य खनिज तत्चों के अलावा और कुछ नहीं बचा था। मगर कुछ समय के बाद बारिश होने पर यह झील फिर से भर गई। अभी इस झील का पानी अचानक से लाल हो जाने की वजह से आस-पास के लोग भारी मात्रों में इसे देखने आ रहे हैं।
पानी लाल होने की यह भी संभावित वजह
वैज्ञानिकों का कहना है कि लोनार झील में हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना नाम के कवक (फंगस) की वजह से पानी का रंग लाल हुआ है। निसर्ग तूफ़ान की वजह से बारिश हुई जिस कारण हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना कवक झील की तलहट में बैठ गए और पानी का रंग लाल हो गया।