नई दिल्ली : 2017 के भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में ब्लास्ट आतंकी साजिश मामले में यूपी के लखनऊ स्थित एनआईए कोर्ट ने 7 लोगो को फांसी की सजा सुनाई है। वहीं एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा मिली है। आईएस के सदस्यों पर आईपीसी, यूए (पी), शस्त्र अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। Kanpur Terror Conspiracy Case

अदालत ने मोहम्मद फैसल, गॉस मोहम्मद खान, मोहम्मद अजहर, आतिफ मुजफ्फर, मोहम्मद दानिश, सैयद मीर हुसैन और आसिफ इकबाल उर्फ रॉकी को मौत की सजा सुनाई, वहीं मोहम्मद आतिफ को उम्रकैद की सजा सुनाई। आठ आरोपियों के खिलाफ शुरू में लखनऊके पुलिस स्टेशन एटीएस में मामला दर्ज किया गया था और बाद में जांच को एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया था इससे पहले एनआईए की जांच में खुलासा हुआ था कि आरोपियों ने कुछ आईईडी तैयार कर उनका परीक्षण किया था और उन्हें उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर लगाने की कोशिश की थी। उनकी हाजी कॉलोनी (लखनऊ) से एक नोटबुक जब्त की गई थी जिसमें संभावित लक्ष्यों और बम बनाने के विवरण के बारे में नोट्स थे।

जांच में आरोपियों के आईईडी बनाने और यहां तक कि हथियारों, गोला-बारूद और आईएस के झंडे के साथ कई तस्वीरों का पता चला था। एनआईए ने कहा, समूह ने कथित तौर पर विभिन्न स्थानों से अवैध हथियार, विस्फोटक एकत्र किए थे। एक आरोपी आतिफ मुजफ्फर ने यह भी खुलासा किया था कि उसने विभिन्न इंटरनेट स्रोतों से सामग्री एकत्र करने के बाद आईईडी बनाने की तकनीकों पर जानकारी संकलित की थी। जांच में पता चला था कि आतिफ और तीन अन्य, जिनकी पहचान मोहम्मद दानिश, सैयद मीर हसन और मोहम्मद सैफुल्ला के रूप में हुई है, भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में लगाए गए आईईडी को बनाने के लिए जिम्मेदार थे। ट्रेन विस्फोट 7 मार्च, 2017 को हुआ था, जिसमें दस लोगों को गंभीर चोटें आई थीं।

इस मामले की जांच भी एनआईए ने की थी और फिलहाल इसका परीक्षण चल रहा है। अधिकारी ने कहा, आईएस समर्थित आपराधिक साजिश मामले में सफलता तब मिली जब मुख्य आरोपी, जिसकी पहचान मोहम्मद फैसल के रूप में हुई, को मार्च 2017 के एमपी ट्रेन विस्फोट में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसके द्वारा किए गए खुलासे से उसके दो सहयोगियों, गौस मोहम्मद खान उर्फ करण खत्री और अजहर खान उर्फ अजहर खलीफा को गिरफ्तार किया गया।

जांच अपने हाथ में लेने के बाद एनआईए ने मामले में पांच और आरोपियों को गिरफ्तार किया। एनआईए ने 31 अगस्त, 2017 को सभी आठ गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। मामले की जांच में स्पष्ट रूप से पता चला था कि आरोपी आईएस के सदस्य थे और उन्होंने इस्लामिक स्टेट और उसके नेता अबू बकर अल-बगदादी के प्रति ‘बायत’ (निष्ठा) की शपथ ली थी।

पीएम के कार्यक्रम में भी रखा था बम

आईएसआईएस के कानपुर के खुरासान मॉड्यूल के आतंकियों ने भोपाल-उज्जैन पैसेंजर में ही नहीं, बल्कि आधा दर्जन से ज्यादा बम धमाकों की कोशिश की थी, लेकिन वे सफल नहीं हुए। सबसे बड़ी साजिश ऐशबाग में दशहरे के मौके पर आयोजित पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में बम धमाका करने की थी। 10 नवंबर 2016 को गैंग लीडर आतिफ मुजफ्फर ने गौस मोहम्मद के साथ कार्यक्रमस्थल के पास बम रखा था। बम में धमाका भी हुआ था, लेकिन वह इतना मामूली था कि दशहरे की आतिशबाजी और भीड़ में किसी को पता ही नहीं चला।

आतिफ ने सितंबर 2016 में घाटमपुर रेलवे ट्रैक पर भी एक पाइप बम रखा था, लेकिन वह भी नहीं फटा। दिसंबर 2016 में उन्नाव में आयोजित बरेलवी की बारावफात रैली में आतिफ ने दानिश व सैफुल्ला के साथ पाइप बम रखा था, लेकिन वह भी नहीं फटा था। बाद में गौस मोहम्मद 18 दिसंबर 2016 को उस बम को लेकर लखनऊ आ गया था। लखनऊ में इन लोगों ने 23 फरवरी से लेकर 26 फरवरी के बीच नदवा, इमामबाड़ा और बाराबंकी में देवा शरीफ की रेकी की थी। इन लोगों ने सलमान नदवी पर भी हमले की तैयारी थी। भोपाल-उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट से पहले छह मार्च 2017 को आतिफ, दानिश व हुसैन के साथ लखनऊ रेलवे स्टेशन पर पुष्पक ट्रेन में बम रखने गया था, लेकिन सफलता नहीं मिली।