GST और VAT के खेल में राज्य को हुआ 2500 करोड़ का नुकसान सिर्फ तीन वस्तुओं से ही, टीएस सिंहदेव ने व्यावसायिक संगठन के प्रतिनिधियों से की बैठक
GST और VAT के खेल में राज्य को हुआ 2500 करोड़ का नुकसान सिर्फ तीन वस्तुओं से ही, टीएस सिंहदेव ने व्यावसायिक संगठन के प्रतिनिधियों से की बैठक

रायपुर। वाणिज्यिक कर मंत्री एवं जीएसटी कॉउन्सिल सदस्य टी एस सिंहदेव ने सिविल लाइन्स स्थित नवीन विश्राम भवन में व्यावसायिक संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक की। इस बैठक में राजस्व कमी की पूर्ति हेतु कर की दर का युक्ति-युक्त करण करने के लिए व्यावसायिक संगठनों के प्रतिनिधियों के सुझाव आमंत्रित किये थे। इस पूरी बैठक में उपस्थित रहे।

जीएसटी मंत्री टी एस सिंहदेव ने जिन सुझाव लंबित रह गए हैं उनसे अगले दो-तीन दिनों में लिखित सुझाव देने का आग्रह किया। जिससे कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के समक्ष व्यवसायिक संगठन के प्रतिनिधियों की बात रख सके इस अवसर पर जीएसटी विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी और जीएसटी कमिश्नर समीर विश्नोई समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

इस दौरान सिंहदेव ने व्यावसायिक संगठन के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना आने के बाद अर्थव्यवस्था के ऊपर बड़ा प्रभाव पड़ा है, इस समय जीएसटी कलेक्शन और टैक्स कलेक्शन का भार सीधा-सीधा राज्यों पर पड़ा ऐसे ही राज्यों को और विशेष करके राज्य को बड़ा नुकसान हुआ।]

राज्य सरकार को 14% ही मिलेगा राजस्व

जीएसटी में आने के बाद अगर राज्य सरकार में अपना 25% वैट के हिसाब से आमदनी होनी है अगर 28% जीएसटी में रखा गया तो राज्य सरकार को 14% ही मिलेगा राजस्व बाकी 14% केंद्र सरकार रखेगी। हर तरफ से राज्यों को ही अपनी व्यवस्था देखनी पड़ेगी संतुलन और राज्य के लिए काम करने में पहुंच ज्यादा सीमाएं रखनी पड़ेगी और जीएसटी में आने के बाद भी छत्तीसगढ़ को बहुत ज्यादा व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

2500 करोड़ रूपये का नुकसान

जैसे कि अनुमान लगाते हैं। कि जो वैट लगता था और अब जो जी.एस.टी. लग रहा है सामान्य दर टैक्स होने के बावजूद भी 5% वैट था और अभी 5% जी.एस.टी. है तो आधा आधा हिस्सा बंट जा रहा है। राज्य को अकेले 3 वस्तुओ (धान, कोयला और लौह) में 2500 करोड़ रूपये का नुकसान है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय मे पेट्रोलियम प्रोडक्ट भी जीएसटी में आ सकते हैं।

प्रदेश पर पड़ेगा व्यापक प्रभाव

जीएसटी में आने के बाद अगर राज्य सरकार में अपना 25% वैट के हिसाब से आमदनी होनी है अगर 28% जीएसटी में रखा गया तो राज्य सरकार को 14% ही मिलेगा राजस्व मिलेगा बाकी 14% केंद्र सरकार रखेगी। हर तरफ से राज्यों को ही अपनी व्यवस्था देखनी पड़ेगी संतुलन और राज्य के लिए काम करने में पहुंच ज्यादा सीमाएं रखनी पड़ेगी और जीएसटी में आने के बाद भी प्रदेश पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

क्षतिपूर्ति का प्रावधान हटने से गारंटी था वह भी नहीं मिलेगा- सिंहदेव

जीएसटी मंत्री ने आगे यह भी कहा कि प्रोटक्टेड इनकम का भी प्रावधान हट जाने से प्रदेश में जीएसटी रेजीम का बहुत विपरीत प्रभाव पड़ा है और आने वाले समय में और पड़ सकता है क्षतिपूर्ति का भी प्रावधान हट जाएगा तो राज्य की आय अगर हर साल 7% बढ़ती है पिछले साल की तुलना में तो 7% मिलता है वह भी नहीं मिलेगा 9% बढ़ती थी तो 5% मिलता था 14% का जो गारंटी था वह भी नहीं मिलेगा। देश के लिए सभी के बीच में जो बात आई 5-6 स्लैब न्यूट्रल रेट 0%- 5% – 12% – 18% – 28% पांच प्रकार के जो टैक्स रेट लागू हुए।

इतने प्रतिशत सरकार को होगा लाभ


इसके उपरांत अगले सत्र में सराफा संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि जीएसटी आने के बाद तो व्यापारी को सुलभता मिली है। जिसमें वन टाइम टैक्स देकर सेटल हो जाता है, अन्यथा पहले अलग-अलग राज्य में अलग-अलग टैक्स देना पड़ता था। सराफा व्यापारियों में सभी लोग रिटर्न भरते हैं और एसोसिएशन लेवल पर भी अवेयरनेस ला रहे हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने सुझाव व्यक्त करते हुए कहा कि नियमों में कुछ परिवर्तन धारा 411 और 412 को लेकर है। इसके साथ ही शंकर बजाज ने अपना सुझाव व्यक्त करते हुए कहा कि कांच की जो बोतल रिसायकिल होती है उसमें 5% टैक्स लगता है अगर उसको पैक्ट बोतल में कन्वर्ट किया जाए तो उसका 18% जीएसटी लगता है। यह परिवर्तन पूरे देश में यह लागू हो गए हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में लागू नहीं हुआ है। इस परिवर्तन से राज्य सरकार को लगभग 13% अधिक जीएसटी संग्रहण का लाभ मिलेगा।

टैक्स से रखना चाहिए मुक्त

इसके साथ ही कैट के व्यावसायिक संगठन प्रतिनिधियों ने सुझाव दिए कि कंसम्पशन दर, आयकर रिटर्न की प्रक्रिया और जीएसटी स्लैब में सरलीकरण किया जाये। प्लाईवुड एसोसिएशन जीएसटी स्लैब के सरलीकरण का सुझाव रखा। कंप्यूटर एसोसिएशन एवं मोबाइल एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से ऑनलाइन खरीदी एवं उस पर टैक्स की प्रक्रिया के विषय में पारदर्शिता को लेकर अपना सुझाव दिया। इसके उपरांत अनाज व्यवसाय संघ व राइस मिल संघ के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव व्यक्त करते हुए कहा कि राइस मिल कस्टम मिलिंग लगभग शत प्रतिशत छत्तीसगढ़ शासन के धान को चावल में परिवर्तित करने का काम करती है, जिसे टैक्स से मुक्त रखना चाहिए।

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