'जनता का फैसला' चौपाल द्वारा की गई सिफारिशों पर होगा विचार, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिया आश्वासन

टीआरपी डेस्क। राजधानी रायपुर में प्रवासी मजदूरों के हित में चल रहे ‘जनता का फैसला’ चौपाल, का आयोजन नेशनल फाउंडेशन फार इंडिया और साक्रेटस द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के दो लाख प्रवासी श्रमिकों में से पारदर्शी प्रक्रियाओं को अपनाते हुए 17 प्रवासी श्रमिकों, श्रमिकों के हित में फैसला सुनाने के लिए ज्यूरी के रूप में चयनित किया गया।

ज्यूरी द्वारा जो फैसला लिया गया उसे राज्य में लागू करने हेतु अपने फैसले की प्रति मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को उनके निवास स्थान में सौंपा। मुख्यमंत्री ने उन्हें इस पर विचार करने का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री बघेल ने फैसले को सकारात्मक कदम बताया और राज्य में प्रवासी श्रमिकों के हितों के लिए किए जा रहे प्रयासों के संबंध में ज्यूरी को अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने राज्यस्तर पर बड़े पैमाने पर बांटे जा रहे भूअधिकार पट्टों के संबंध में भी जानकारी दी और कहा कि राज्य सरकार चाहती है मजदूरों का पलायन रुके।

दो तरह से होते हैं पलायन

ज्यूरी ने पाया कि प्रवासी दो तरह के होते है एक जो स्वेच्छा से पलायन करते है। दूसरे जो दुर्गति के कारण पलायन करते है। ज्यूरी का मत था कि वे सभी लोग छत्तीसगढ़ में ही रहना चाहते है और पलायन नहीं करना चाहते हैं।

दुर्गति से होने वाले पलायन को रोकने के लिए सरकार को छत्तीसगढ़ मे रोजगार बढ़ाना चाहिए एवं राज्य के प्राकृतिक संसाधनों- जल, जंगल और जमीन पर स्थानीय लोगों को अधिकार देना चाहिए। इसके साथ ही सभी को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। ज्यूरी ने कहा- इसी के आधार पर हम भारत के सभी मजदूर साथियों की ओर से खुद को यह फैसला सुनाते हैं।

सरकार कर रही प्रयास

कार्यक्रम के अंतिम दिन समापन से पहले मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रूचिर गर्ग, इंदु नेताम और पं. रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी के प्रो. आर के ब्रम्हे, नमिता मिश्रा (एफइएस) आदि ने संबोधन किया। रूचिर गर्ग ने कहा कि सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि अपने योजनाओं से गरीब के जेब में पैसा पहुंचाए, वे फिर से खुशहाल हो।

प्रवासी मजदूरों के हित में जनता का फैसला नामक कार्यक्रम एक साहसिक पहल है, लेकिन हम सबको मिलकर इससे आगे कि लड़ाई लड़नी पड़ेगी। प्रवासी मजदूरों का मसला मात्र केवल छत्तीसगढ़ का नहीं है, बल्कि यह देश का मसला है। इसको लेकर पूरे देश भर में आवाज उठानी पड़ेगी।

फैसले के अहम बिंदु

1. राज्य के प्राकृतिक संसाधनों – जल, जंगल और जमीन पर स्थानीय लोगों को अधिकार होना चाहिए।
2. सामुदायिक वनाधिकार सभी गाँव को मिलना चाहिए।
3. मनरेगा के तहत सभी को 150 से बढ़ाकर 200 दिन का रोजगार मिलना चाहिए ताकि पलायन कम हो।
4. वन उपज में और तेंदू, बांस, महुआ जैसे उद्योगों का प्रोत्साहन करना चाहिए और हमें उसमे शामिल करना चाहिए ताकि हमें काम करने के लिए बाहर न जाना पड़े।
5. भूमिहीन प्रवासी मजदूरों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान मिलना चाहिए।
6. मृत्यु मुआवजा: सभी प्रवासी मजदूरों की जीवन बीमा होनी चाहिए।
7. संगठन: मजदूरों को सामूहिक रूप से काम करने की जरूरत है जिसके लिए प्रवासी श्रमिकों को संगठित होना है। प्रवासी मजदूर के संगठन को सरकार से मान्यता मिलनी चाहिए और संगठन की आवाज को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।
8. अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम का कार्यान्वयन होना चाहिए जहां श्रमिकों के लिए पंजीकरण है, और ठेकेदारों और एजेंटों के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है।
9. प्राथमिक नियोक्ता को न्यूनतम मजदूरी के अलावा, प्रवासी श्रमिकों को मिलने वाले सभी सुविधाओं एवं लाभों को मुहैया कराने के लिए जिम्मेदारी और जवाबदेही होनी चाहिए।
10. कार्य स्थल पर नि:शुल्क आवास की व्यवस्था नियोक्ता द्वारा की जानी चाहिए। महिला प्रवासी श्रमिकों के लिए गंतव्य (कार्यस्थल) राज्यों में कामकाजी महिला हॉस्टल स्थापित किए जाने चाहिए। बच्चों के लिए क्रेच/झूलाघर नियोक्ता द्वारा स्थापित किया जाना चाहिए।
11. आंगनबाड़ी में पंजीकरण की पोर्टेबिलिटी होनी चाहिए। जिसमे आंगनबाड़ी की व्यवस्था, मातृत्व लाभ, स्वास्थ्य बीमा लाभ मिलनी चाहिए।
12. कोई भी बच्चे जो स्कूल जाने की उम्र के हैं, उनको हॉस्टल में दखिला करने की व्यवस्था हो ताकी उनकी पढाई जारी रहे और हमें कहीं भटकना न पड़े जिससे आगे जाकर बच्चे हमारे जैसे मजदूर ना बने। बच्चे यदि प्रवासी मजदूरों के साथ गंतव्य राज्य पर जा रहे हो तो वहाँ मातृभाषा में पढाई की व्यवस्था होनी चाहिए।
13. जब प्रवासी मजदूर पलायन कर जाते हैं तो मनरेगा जॉब कार्ड निष्क्रिय हो जाते हैं। प्रवासी मजदूरों के नाम का जॉब कार्ड निष्क्रिय नहीं होना चाहिए।
14. प्रवासी मजदूरों हेतु एक केंद्रीकृत हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए।
15. हमारे मतदान के अधिकार के संवैधानिक अधिकारों के लिए मालिक को प्रवासी श्रमिकों को छुट्टी देने का अनिवार्य प्रावधान होना चाहिए। सरकार को सारे प्रवासी मजदूरों के लिए पोस्टल बैलेट प्रबंध करने के लिए चिंतन करना चाहिए।
ज्यूरी का मत था कि भारत के नागरिक होने के नाते प्रवासी श्रमिकों को चाहिए गरिमा, सम्मान, समानुभूति और अधिकार।

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